Saturday 31 October 2009
Vivekananda Quote - 11
Conversation at the Brooklyn Ethical Society, USA. Complete Works, 5.313.
Friday 30 October 2009
Thursday 29 October 2009
Vivekananda Quote - 10
From notes discovered among Swami Vivekananda's papers. He evidently intendedto write a book and jotted down these points for the work. Complete Works, 5:430
Wednesday 28 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 204
"मेरे बिना भक्त के लिए संपूर्ण विश्व ही उजाड़ है, वह केवल मेरी कथाओ का ही गुणगान करते है।"
Vivekananda Quote - 9
Retreat given at the Thousand Island Park, USA. June 25, 1895. Complete Works, 7.13
Tuesday 27 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 203
"प्रेम और श्रद्धा भाव से किया गया, केवल एक नमस्कार ही प्रयाप्त है।"
Vivekananda Quote - 8
Interview, October 23, 1895. Complete Works, 5: 187-88.
Monday 26 October 2009
साईं नामावली:-
१- अन्तकमर्दन साईं नाथ.
२- अंतसहाय साईं नाथ.
३- आप्रमेया साईं नाथ.
४- अमितपराक्रम साईं नाथ.
५- आनंदामृत साई नाथ.
६- आश्रित रक्षक साई नाथ.
७- सहिर्दी वासा साई नाथ.
८- श्री हरि रूपा साई नाथ.
९- द्वान्द विनाशा साईं नाथ.
१०- द्वारका वासा साईं नाथ.
११- तत्त्व बोधक साईं नाथ.
१२- दक्षिणा मूर्ति साईं नाथ.
१३- धर्म सुपालन साईं नाथ.
१४- दारिद्र नाशन साईं नाथ.
१५- दिव्या गुणालय साईं नाथ.
१६- तीर्थ पादा साईं नाथ.
१७- नित्यानन्दा साईं नाथ.
१८- निर्मल रूपा साईं नाथ.
१९- निर्जित कामा साईं नाथ.
२०- नित्य महोत्सव साईं नाथ.
२१- भक्त वत्सल साईं नाथ.
२२- भगवत प्रिय साईं नाथ.
२३- पुराण पुरुषा साईं नाथ.
२४- पुण्य शलोका साईं नाथ.
२५- संकट हरणा साईं नाथ.
२६- सर्व मताश्रय साईं नाथ.
२७- सच्चिदानन्दा साईं नाथ.
२८- समर्थ सदगुरु साईं नाथ.
साईं ने कहा है : भाग - 202
"मुझे ही अपने विचारो व इच्छाओं का लक्ष्य बनाओ, तुम्हे परमार्थ की प्राप्ति होगी।"
Vivekananda Quote - 7
Class on Karma Yoga. New York, January 3, 1896. Complete Works, 1.93.
Sunday 25 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 201
"मस्जिद माई अपना ऋण मांगती है, इसलिए देनेवाला अपना ऋण चुकता कर मुक्त हो जाते है।"
Vivekananda Quote - 6
Conversation at the Brooklyn Ethical Society, USA. Complete Works, 5: 312-13.
Saturday 24 October 2009
Friday 23 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 199
"दानी दान देता है और भविष्य में सुंदर उपज का बीजारोपण करता है।"
Thursday 22 October 2009
साईं तेरी नोकरी मुझे चाहिए:-
तेरी नोकरी मुझे चाहिए
हे साईं अभिराम चाकर मुझे बना लो,दे दो
श्री चरणों में स्थान
ड्यूटी मुझको देदो
बचा समये जो इस जीवन का
निज सेवा में लेलो
वेतन में तुम मुझको देना
श्रदा और सबुरी
इतना वेतन हो की स्वामी
तुमसे न हो दुरी
बीमारी के छुट्टी (Sick Leave) मुझे नहीं चाहिए
अपने नाम कर लेना
किराया भत्ता व महगाई भत्ता (T.A. & D.A.) जब हो जाये
कभी ड्यू जो मेरा
शिर्डी धाम का लगवा देना
साईं तुम की फेरा
उन्नति (Appraisal) के समये में दाता
मेरे दोष निरखना
लेश मात्र भी कमी जो पाओ
बर्खास्त (Demotion) चाहे करना
जैसे कर्म हो मेरे,वैसे
फल से झोली भरना
बोनस (Bonus) में मुझको दे देना
दर्शन अपना प्यारा
तेरी नोकरी में ही बीते
मेरा जीवन सारा
पदौन्नति (Promotion) जब भी करना चाहो
तब इतना ही करना
भक्ति की ऊँची सीढ़ी पर
साईं मुझको धरना
सेवा से अवकाश (Retirement) का समये जो आवे
तुम खुद ही आ जाना
इस जिव को दाता अपने संग
तुम्ही ले जाना
अर्जी मैंने डाला है, तुम
इस पर करो विचार
तेरी नोकरी पा जाऊँ तो
हो जावे उद्धार
साईं ने कहा है : भाग - 198
"पिछले जन्मो के कर्मफल को भोग लेना ही मुक्ति का साधन है।"
Vivekananda Quote - 5
Retreat given at the Thousand Island Park, USA. June 25, 1895. Complete Works, 7.13.
Wednesday 21 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 197
"द्वारकामाई अपने बच्चो को हर प्रकार कि खतरे व चिंता से दूर रखती है।"
Vivekananda Quote - 4
Letter to Sarala Ghoshal, Editor of Bharati. Written from Darjeeling on April 6, 1897. Complete Works,5.126-27.
Tuesday 20 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 196
"जो प्रेम और भक्ति के साथ ईश्वर का ध्यान करते है, प्रभु उनकी सदा सहायता करते है।"
Vivekananda Quote - 3
From notes discovered among Swami Vivekananda's papers. He evidently intended to write a book and jotted down these points for the work. Complete Works, 5:429.
Monday 19 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 195
"जो व्यक्ति अपनी बुद्धि द्वारा मन को वश में कर लेते है, वे अंत में लक्ष्य प्राप्त कर विष्णु लोक में पहुच जाते है।"
Vivekananda Quote - 2
Class on Karma Yoga. New York, January 3, 1896. Complete Works, 1.93.
Sunday 18 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 193
"अहंकारी और विषयो में लिप्त व्यक्ति पर गुरु के उपदेशो तथा शिक्षा का कोई प्रभाव नही पड़ता।"
Vivekananda Quote - 1
Saturday 17 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 192
"धन के प्रति प्रेम, दुःख का गहरा भवर है, केवल इच्छा रहित व्यक्ति इस भवर को पर कर सकता है।"
Friday 16 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 191
"आत्मानुभूति ना तो बुद्धि द्वारा और ना सूक्ष्म वेद अध्यन द्वारा सम्भव है, जिनपर ईश्वर कृपा होती है, केवल वे ही इसे प्राप्त करते है।"
Thursday 15 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 190
"आत्मज्ञान गूढ़ और रहस्यमय है, केवल अपने प्रयत्नं से उसकी प्राप्ति सम्भव नही, सिद्ध गुरु की सहायता परम आवश्यक है।"
Wednesday 14 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 189
"मैं शरीर हूँ एक भ्रम है और यही बंधन का कारण है, जीवन का धेय प्राप्त करने के लिए इस धारणा को त्याग कर दो।"
Tuesday 13 October 2009
Monday 12 October 2009
आज़ादी के दीवाने : रामप्रसाद बिस्मिल
शहीद होने से एक दिन पूर्व रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को निम्न पत्र लिखा -
"19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूँ।आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण किया करती है।"
यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्रो बार भी।तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।।हे ईश! भारतवर्ष में, शतवार मेरा जन्म हो।कारण सदा ही मृत्यु का, देशीय कारक कर्म हो।।
मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से।होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रूधिर की धार से।।उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का।तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का।।
सब से मेरा नमस्कार कहिए,
तुम्हारा
बिस्मिल"
रामप्रसाद बिस्मिल की शायरी, जो उन्होने कालकोठरी में लिखी और गाई थी, उसका एकट-एक शब्द आज भी भारतीय जनमानस पर उतना ही असर रखता है जितना उन दिनो रखता था। बिस्मिल की निम्न शायरी का हर शब्द अमर है:
सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
देखना है जोर कितना, बाजुए कातिल में है।।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में है।।
और:
दिन खून के हमारे, यारो न भूल जाना
सूनी पड़ी कबर पे इक गुल खिलाते जाना।
साईं ने कहा है : भाग - 187
"ब्रह्मज्ञान या आत्मानुभूति का मार्ग सरल नही, वह तो तलवार की धार पर चलने के समान कठिन है।"
Sunday 11 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 186
"सांसारिक वस्तुओ की अभिलाषा करने वालो का अभाव नही, ब्रह्मज्ञान को पानेवाले आध्यात्मिक जिज्ञासु दुर्लभ है।"
Saturday 10 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 185
"वो ही भाग्यशाली मेरी उपासना की ओर अग्रसर होते है, जिनके समस्त पाप नष्ट हो गए हो।"
Friday 9 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 184
"माया ब्रह्माद्दी को भी नही छोडती, फिर मुझ जैसे फकीर का तो क्या कहना? परन्तु जो हरि की शरण लेगे वे मायाजाल से मुक्त हो जायेंगे।"
Thursday 8 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 183
"मेरा नाम स्मरण करने से, बोलने और सुनने से किए गए पाप कर्मो का अंत होता है।"
Wednesday 7 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 182
"मेरे भक्तो के घर अन्न तहत वस्त्रो का कभी आभाव नही होगा।"
Tuesday 6 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 181
मुझ पर दृढ़ विश्वास रखने वाले भक्तो का अहंकार व द्वेष भव समाप्त हो जाता है।"
Monday 5 October 2009
Sunday 4 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 179
"अच्छे लोगो का साथ सत्संग है, बुरे लोगो का साथ दुसंग है, जिससे सदा दूर रहो।"
Saturday 3 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 178
"हम इस शरीर कि मालिक नही है, यह तो हमे ईश्वर की सेवा करने के लिए प्राप्त हुआ है।"
Friday 2 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 177
"अगर तुम भूखे को भोजन, प्यासे को पानी और निर्वस्त्र को वस्त्र दोगे तो श्री हरि प्रस्सन होंगे।"
सूचना
Thursday 1 October 2009
साईं ने कहा है : भाग - 176
"सदा अपने स्थान पर दृढ़ रहकर गतिमान दृश्य को शांतिपूर्वक देखो, क्यो भटकते हो। साईं तुम्हारा परित्याग नही करेंगे।"
साईं महिमा : भाग - 1
चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...
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संतन जात ना पूछो निरगुनियाँ। साध ब्राहमन साध छत्तरी, साधै जाती बनियाँ। साधनमां छत्तीस कौम है, टेढी तोर पुछनियाँ। साधै नाऊ साधै धोबी, साधै जा...
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भगत देश का - शहीदेआजम भगत सिंह को समर्पित
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बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो। ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।। है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल। हिम्मत से काम लो तुम आसान हो...