Monday 20 December 2010

Thursday 9 December 2010

हर सांस में हर बोल में साईं नाम की झंकार :-

हर सांस में हर बोल में साईं नाम की झंकार है ।
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है ॥
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है ।
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ॥
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है ।
उस साईंनाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ॥
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है ।
मनके यहां बिखरे हुये साईं ने पिरोया तार है ॥

Tuesday 7 December 2010

निंदा व संवेदना : वाराणसी आतंकी हमले की || Terrorist Attack At Varanasi on 07-12-2010

निंदा व संवेदना
Kashi Sai Foundation Society, वाराणसी के प्राचीन शीतला घाट पर आज तिथि 07-12-2010 को शाम 06:35 बजे पर हुए बम बलास्ट (आतंकी हमले) की घनघोर निंदा करती है और मृतकों व घायलों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करती है समिति वाराणसी के सभी सम्मानित नागरिकों से यह निवेदन करती है कि शहर की शांति व्यवस्था को बनाये रखे और किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें

News
It has been reported that more than 25 people were injured in blast at Varanasi, at the Dashashwamedh Ghat, during the Ganga aarti prayers around 6:30 pm on Tuesday. According to the reports, many others were injured in the consequent stampede to the blast in Varanasi.According to the official sources, the injured people include four foreigners and an Improvised Explosive Device (IED) has been found from the dustbin at the site of Varanasi blast. The Ganga aarti, which extends across the Shitala, Dashashwamedh and Prayag ghats, is a daily prayer ritual, which is attended by a huge number of approximately 2,000 to 3,000 people, which include a lot of foreigners. The ghats, which are the majorly affected areas of blast in Varanasi, are near the well-known Vishwanath temple.The deadly blast in Varanasi that occurred on the stairs of Dashashwamedh ghat was so powerful that huge stones on the stairs were thrown many meters away. However, the police have yet not confirmed that reports of people dying in the terrible incident of blast in Varanasi.

Tuesday 9 November 2010

पैगम्बर का जीवन ही संदेश था :-

पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ल. 22 अप्रैल ईस्वी 571 को अरब में पैदा हुए। 8 जून 632 ईस्वी को आपकी वफात हुई। होनहार बिरवा के चिकने चिकने पात। बचपन में ही आपको देखकर लोग कहते, यह बच्चा एक महान आदमी बनेगा। एक अमेरिकी ईसाई लेखक ने अपनी पुस्तक में दुनिया के 100 महापुरुषों का उल्लेख किया है। इस वैज्ञानिक लेखक माइकल एच. हार्ट ने सबसे पहला स्थान हजरत मुहम्मद (सल्ल.) को दिया है। लेखक ने आपके गुणों को स्वीकारते हुए लिखा है।
he was the only man in history who was supremely succesful on both the religious and secular levels.
आप इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं, जो उच्चतम सीमा तक सफल रहे। धार्मिक स्तर पर भी और दुनियावी स्तर पर भी।
इसी तरह अँगरेज इतिहासकार टॉम्स कारलाइल ने आप सल्ल को ईशदूतों का हीरो कहा है। आइए देखें। वे क्या गुण हैं जिनके कारण आपको इतना ऊँचा स्थान दिया जाता है।
आप सल्ल। ने सबसे पहले इंसान के मन में यह विश्वास जगाया कि सृष्टि की व्यवस्था वास्तविक रूप से जिस सिद्धांत पर कायम है, इंसान की जीवन व्यवस्था भी उसके अनुकूल हो, क्योंकि इंसान इस ब्रह्मांड का एक अंश है और अंश का कुल के विरुद्ध होना ही खराबी की जड़ है। दूसरे लफ्जों में खराबी की असल जड़ इंसान की अपने प्रभु से बगावत है। आपने बताया कि अल्लाह पर ईमान केवल एक दार्शनिक सिद्धांत नहीं बल्कि यही वह बीज है, जो इंसान के मन की जमीन में जब बोया जाता है तो इससे पूरी जिंदगी में ईमान की बहार आ जाती है। जिस मन में ईमान है, वह यदि एक जज होगा तो ईमानदार होगा।
एक पुलिसमैन है तो कानून का रखवाला होगा एक व्यापारी है तो ईमानदार व्यापारी होगा। सामूहिक रूप से कोई राष्ट्र खुदापरस्त होगा तो उसके नागरिक जीवन में, उसकी राजनीतिक व्यवस्था में, उसकी विदेश राजनीति, उसकी संधि और जंग में खुदापरस्ताना अखलाक व किरदार की शान होगी। यदि यह नहीं है तो फिर खुदापरस्ती का कोई अर्थ नहीं। आइए, हम देखें कि आपकी शिक्षाएँ समाज के प्रति क्या हैं।
'जिस व्यक्ति ने खराब चीज बेची और खरीददार को उसकी खराबी नहीं बताई, उस पर ईश्वर का प्रकोप भड़कता है और फरिश्ते उस पर धिक्कार करते हैं।' 'ईमान की सर्वश्रेष्ठ हालत यह है कि तेरी दोस्ती और दुश्मनी अल्लाह के लिए हो।
तेरी जीभ पर ईश्वर का नाम हो और तू दूसरों के लिए वही कुछ पसंद करे, जो अपने लिए पसंद करता हो और उनके लिए वही कुछ नापसंद करे जो अपने लिए नापसंद करता हो।' 'ईमान वालों में सबसे कामिल ईमान उस व्यक्ति का है जिसके अखलाक सबसे अच्छे हैं और जो अपने घर वालों के साथ अच्छे व्यवहार में सबसे बड़ा है।'
'असली मुजाहिद वह है, जो खुदा के आज्ञापालन में स्वयं अपने नफ्स (अंतरआत्मा) से लड़े और असली मुहाजिर (अल्लाह की राह में देश त्यागने वाला) वह है, जो उन कामों को छोड़ दे जिन्हें खुदा ने मना किया है।'
'मोमिन सब कुछ हो सकता है, मगर झूठा और विश्वासघात करने वाला नहीं हो सकता।' 'जो व्यक्ति खुद पेटभर खाए और उसके पड़ोस में उसका पड़ोसी भूखा रह जाए, वह ईमान नहीं रखता।''जिसने लोगों को दिखाने के लिए नमाज पढ़ी उसने शिर्क किया, जिसने लोगों को दिखाने के लिए रोजा रखा उसने शिर्क किया और जिसने लोगों को दिखाने के लिए खैरात की उसने शिर्क किया।'
'चार अवगुण ऐसे हैं कि जो यदि किसी व्यक्ति में पाए जाएँ तो वह कपटाचारी- अमानत मैं विश्वासघात करे, बोले तो झूठ बोले, वादा करे तो तोड़ दे और लड़े तो शराफत की हद से गिर जाए। 'जो व्यक्ति अपना गुस्सा निकालने की ताकत रखता है और फिर बर्दाश्त कर जाए उसके मन को खुदा ईमान से भर देता है।'
'जानते हो कयामत के दिन खुदा के साए में सबसे पहले जगह पाने वाले कौन लोग हैं। आपके साथियों ने कहा कि अल्लाह और उसका रसूल ज्यादा जानते हैं। आपने फरमाया कि उनके समक्ष सत्य पेश किया गया तो उन्होंने मान लिया और जब भी उनसे हक माँगा गया तो उन्होंने खुले मन से दिया और दूसरों के मामले में उन्होंने वही फैसला किया, जो स्वयं अपने लिए चाहते थे।'
'जन्नत में वह गोश्त नहीं जा सकता, जो हराम के निवालों से बना हो। हराम माल खाने से पहले पले हुए जिस्म के लिए तो आग ही ज्यादा बेहतर है।'

Saturday 2 October 2010

राम : इक़बाल (गाँधी जयंती पर विशेष)

गाँधी जयंती पर बापू को काशी साईं परिवार की ओर से प्रेम भरी भेट
॥ हे राम ॥
राम
कवि : श्रीयुक्त अल्लामा इक़बाल
@इक़बाल

लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिंद*1
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द*2
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक*3 उसका है असर,
रिफ़अत*4 में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द*5
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक*6 सरिश्त*7,
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
है राम के वजूद*8 पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
एजाज़*9 इस चिराग़े-हिदायत*10, का है यही
रोशन तिराज़ सहर*11 ज़माने में शामे-हिन्द
तलवार का धनी था, शुजाअत*12 में फ़र्द*13 था,
पाकीज़गी*14 में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था


शब्दार्थ: 1- हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। 2- पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं। 3- महान चिंतन। 4- ऊँचाई । 5- हिन्दी का गौरव या ज्ञान । 6- देवता । 7- ऊँचे आसन पर । 8- अस्तित्व 9- चमत्कार । 10- ज्ञान का दीपक । 11- भरपूर रोशनी वाला सवेरा । 12- वीरता । 13- एकमात्र । 14- पवित्रता ।

Thursday 30 September 2010

गंगा जमुनी संस्कृति का प्रमाण

Kashi Vishwanath Mandir & Gyanvapi Masjid
गंगा जमुनी संस्कृति का प्रमाण

Old Image of Gyanvapi Masjid
संक्षिप्त इतिहास कैसे यह गंगा जमुनी संस्कृति का उदय हुआ॥ और आज भी हिन्दू दर्शन करते है और मुस्लमान नमाज़ पढ़ते हैं।
The history of kashi vishwanath temple as published in Times of India on 28.02.1995 is reproduced below:
KASHI'S OLDEST HINDU TEMPLE DESTROYED BY MUSLIM RULERS :
Times of India, February 28, 1995

Lucknow: In the narrow winding lane from the Dashwashwamedh Ghat leading towards the famed Vishwanath Mandir in Varanasi, the atmosphere is one of extreme piety at all times of the day. The temple is, perhaps, one of the most potent symbols of Hinduism in the country in a city which by all accounts is one of the oldest centers of pilgrimage for the Hindus.
The original Vishwanath temple is supposed to have been built around 490 AD during the Gupta period। istorical records suggest that it was destroyed by Muslim ruler. The first Muslim invader to attack Varanasi was Ahmed Nihalidin, the governor of the Indian province of the Ghazani empire, in the 11th century. His aim was to acquire the wealth accumulated in the temples of Varanasi. Later, Qutub-ud-din Aibak of the slave dynasty invaded the city and more than 1000 temples are said to have been destroyed in this onslaught.


After the defeat of Ibrahim Lodi in 1526, the city passed under the control of Afghans but was later captured by the Moghul ruler Babur.
In 1539, it was captured by Sher Shah Suri। In the tolerant regime of Akbar, many temples and other structure were rebuilt by Hindu kings in Varanasi.
Raja Todar mal, one of the "jewels" in Akbar's court, constructed a new temple on the site of the destroyed Vishwanath temple in 1585.
This was again destroyed by Aurangzeb in 1669 while on his way to conquer the Deccan. Aurangzeb got a mosque constructed in its place.
The present temple was reconstructed by Maharani Ahilya Bai Holkar in 1777. The dome of the Vishwanath temple was gold-plated by Maharaja Ranjit Singh in 1839.
Adjacent to the temple is the Gyanvapi Masjid, which was built by Auragzeb on the remnants of the original temple। He had, however, agreed to the plea of the Kashi Brahmins that a temple would be allowed to exist adjacent to the Gyanvapi masjid as also to the reconstruction of the Kali temple at Aurangabad, about three kmaway। This temple, too, was destroyed by the invading Muslim armies.The remnants of the original Vishwanath temple are revered by the devout Hindus as Shrinagar Gauri, the abode of Lord Mahadev. Muslims offer namaz in the premises of the Gyanvapi masjid but not in the main hall.
नोट:
1. The original kashi vishwanath temple is the present gnan vapi mosque and within this old temple namaaj is offered by muslims. 2. However, all the walls of the old temple were kept in tact upto say one feet at the base level and the new masjid wall was constructed over it. So a pradakshinam of this mosque would help any shiv bhakt find traces of the original kashi vishwanath temple where images of gods and goddesses were engraved. 3. Even the old nandi (bull) of the original temple was left undestroyed, which is facing the present mosque. But thankfully this nandi is outside the masjid complex and all shiv bhakts can touch it and feel the positive vibrations of the original old temple and imagine the original vishwanath shivling in front of the nandi, now within the mosque.

Saturday 11 September 2010

ईद मुबारक

ईद के मुबारक
अवसर पर
काशी साईं परिवार
की तरफ से
सभी भारत वंशियो
को
ईद मुबारक

ढेरो शुभ कामनाये ।

जय साईं भारत

LOVE SAI, LIVE SAI.

Thursday 2 September 2010

आली रे! : मीराबाई

कृष्ण जन्माष्टमी
के अवसर पर
काशी साईं परिवार
की तरफ से
सभी भारत वंशियो
को
प्रेम भरा नमन
ढेरो शुभ कामनाये ।
आली रे! : मीराबाई

आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी।
चित्त चढ़ो मेरे माधुरी मूरत उर बिच आन अड़ी।
कब की ठाढ़ी पंथ निहारूँ अपने भवन खड़ी।।
कैसे प्राण पिया बिन राखूँ जीवन मूल जड़ी।
मीरा गिरधर हाथ बिकानी लोग कहै बिगड़ी।।

Wednesday 1 September 2010

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष : मथुरा के लोगवा (भोजपुरी)


आवत है नन्दलाल के हाथी, तूरत डार मीरोरत छाती,
ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ।
मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी, फेरत है सिर के गगरी,
भींजत है लहँगा चुनरी, बान्हत है टेढ़का पगरी।

Saturday 14 August 2010

अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा : इक़बाल

अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती* को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं

( *अस्तित्व के रहस्य )

Tuesday 20 July 2010

काशी साईं प्रेम विचार :-

वाराणसी के एक शिक्षक श्री स्वतंत्र कुमार ने I-next समाचार पत्र में भगवान के सही स्थान के विषय अपने विचार बहुत सुन्दर शब्दों हम सब के सामने रखा है, और क्रमश: यही विचार हमारी संस्था "काशी साईं" के भी है.....!!!


हमारी संस्था I - next और श्री स्वतंत्र कुमार का अभिवादन कर धन्यवाद् देती है, और सभी भारत वाशियों से निवेदन करती है, कि यही भावना अपने मन में भी जागृत कर देश से प्रेम करिए और "भ्रष्टाचार" का हिस्सा बनने से अपने आपको बचाइये।

Sunday 23 May 2010

काशी साईं आज का विचार:

ॐ श्री साई नाथाय नमः
"मुझे ही अपने विचारों तथा कर्मों का मुख्य ध्येय बना लो और तब तुम्हें निस्संदेह ही परमार्थ की प्रप्ति हो जायेगी । मेरी और अनन्य भाव से देखो तो मैं भी तुम्हारी ओर वैसे ही देखूँगा । इस मसजिद में बैठकर मैं सत्य ही बोलूँगा कि किन्हीं साधनाओं या शास्त्रों के अध्ययन की आवश्यकता नही, वरन् केवल गुरु में विश्वास ही पर्याप्त है। पूर्ण विश्वास रखो कि गुरु की कर्ता है और वह धन्य है, जो गुरु की महानता से परिचित हो उसे हरि, हर और ब्रहृ (त्रिमूर्ति) का अवतार समझता है ।"
हर कार्य करते हुए ...
हर पल बाबा का स्मरण करते रहना.......
ॐ श्री साई नाथाय नमः

Saturday 22 May 2010

संस्था के प्रेरणास्रोत :-


हमारी संस्था के प्रेरणास्रोत स्वर्गीय पंडित शारदा प्रसाद दुबे की पूर्णयतिथी पर श्रद्धासुमन के साथ उनका चित्र


Wednesday 21 April 2010

काशी साईं आज का विचार:


महात्मा गाँधी ने कहा है, कि....
"मुठ्ठी भर संकल्पवान लोग,
जिनकी अपने लक्ष्य के प्रति आस्था है,
इतिहास की धारा बदल सकते है।"

Thursday 8 April 2010

विचारों में बड़ा जादू है,
यह कहने में गिरा भी सकता है,
और उठा भी सकता है,
कोई तलवार इतनी बेदर्दी से नहीं काटता,
जितना की व्यंग्य।
***************************
कहते हैं तमन्ना ना कर उस ख्वाब की जो पूरी न हो सके,
देखो ना उस नजर को जो तुम्हे देख ना सके,
लेकिन हम कहते हैं कोशिश जरुर करना कुछ पाने की,
क्योंकि सौ ख्वाब देखो तो एक तो पूरा होता है,
शायद इन सौ को देखने में
ज़िन्दगी के हर ख्वाब पूरा हो सके।
***************************
जो जिसके चित में बसता है,
वह उससे दूर होते हुए भी दूर नहीं रहता,
निकट ही जान पड़ता है,
इसके विपरीत जो व्यक्ति,
जिसके चित में नहीं रहता,
वह समीप होते हुए भी,
दूर जान पड़ता है।
****************************
ज़िन्दगी कुदरत का दिया अनमोल तोहफा है,
इसे रो कर नहीं हँस कर गुजारो,
ज़िन्दगी जीने के लिए है,
काटने के लिए नहीं।
****************************
माँगा तो क्या माँगा जो अपने लिए माँगा,
दूसरे के आंसू से अपना दामन भीगे,
सच्ची दुआ तो इसे ही कहते है।

Monday 8 March 2010

आर्थिक सहायता अंतर्गत "Kashi Sai Anti-Terrorism Fund"

आज दिनाक 08-03-2010 को "Kashi Sai Foundation Society" के "Kashi Sai Anti-Terrorism Fund" से बहोरीपुर (बड़ागाव) हमले में घायल अधिवक्ता श्री सुरेश कुमार पाण्डेय को रु.1000/-की आर्थिक सहायता वास्ते अस्पताल खर्च प्रदान की गई। आर्थिक सहायता का चेक (रु.1000/-) संस्था के सचिव अंशुमान दुबे ने प्रज्ञा हॉस्पिटल, हरहुआ, वाराणसी में जाकर घायल अधिवक्ता श्री सुरेश कुमार पाण्डेय को प्रदान किया। इस अवसर पर अधिवक्ता-गण क्रमश: श्री सूर्य कुमार गोंड, श्री सतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, श्री अजय कुमार सिंह, आदि भी उपस्थित थे।

1- आर्थिक सहायता का पत्र
2- आर्थिक सहायता का चेक
3- समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरे
जिनके आधार पर आर्थिक
सहायता का चेक प्रदान किया गया

Sunday 7 March 2010

आज के दिन : अंशुमान

नोट: मैंने यह कविता अपने बेटे "Ashwath" (Aashi) के पैदा होने के बाद दिनाक 04-05-2005 को लिखी थी, जिसमें सुधार 01-12-2005 को पूनम के साथ किया।
खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

हुआ है, सपना पूरा हमारा, आज ही के दिन
नम हुई हैं, आंखे हमारी, आज के ही दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

ज़िंदगी की शुरुआत हुई है, आज ही के दिन
पाई है, मंजिल हमने, आज ही के दिन
दिया है, नाम नया प्यार को तुमने, आज ही के दिन
खिला है, फूल बनकर प्यार हमारा, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

राम ने चूमा है, सीता का माथा, आज ही के दिन
कृष्ण ने थामा है, राधा का दामन, आज ही के दिन
मीरा हुई है, मगन श्याम के रंग, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

प्यार के रंगों का एहसास मिला है हमको, आज ही के दिन
छुटा था जो दामन, थामा है फिर से उसको, आज ही के दिन
जुदा था जो, गले लगाया है उसको, आज ही के दिन
दर्द के एहसास को बनाया है, प्यार हमने, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन

खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

Tuesday 2 March 2010

गुरु, ईश्वर और सदगुरु का सम्बन्ध व अंतर :


गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध है....!!

वेदों में "गुरु" को "ईश्वर" से अधिक पूज्यनीय माना है, "गुरु" की महिमा अपार है वो सदैव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है, उसे सर्व गुण सम्पन बनाने का प्रयत्न करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है।


गुरु और सदगुरु में अन्तर...!!

गुरु और सदगुरु में बहुत अन्तर है, गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है, वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरुदक्षाणा मांग लेते है। परन्तु सदगुरु वो होता जो सदैव देते हैं, कभी गुरुदक्षाणा की लालसा नही रखते । गुरु तो बहुत से मिल जाते है, परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है "साई बाबा" जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है, ऐसे सदगुरु के चरणों में हमारा, काशी साईं परिवार व समस्त भारत वासियों का सादर नमन व समर्पण.....!!!

Monday 1 March 2010

नज़र : अंशुमान


नज़र को नज़र से मिलने दो।
दिलो के तार दिलो से जुड़ने दो।

सुहानी है बेला ये, ऐसे में
दिलो के साज़ को बजने दो।
सरगम यही सच्ची है, इसे
दिल की बगिया में खिलने दो।

दुआ करो मिलकर
मालिक से, कि दिलो में सरगम
यू ही बजती रहे।

और नज़र नजरो से मिलती रहे।
(Note: Written on 24-02-2010)

होली की हार्दिक शुभ कामनाये:-


" होली के शुभ अवसर पर सभी भारतवासियो व भारतवंशियो को काशी साईं परिवार की हार्दिक शुभ कामनाये "
और
" नव वर्ष की
भी हार्दिक शुभ कामनाये "







Thursday 25 February 2010

पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम के लिए हवन (यज्ञ) :

पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम की भावना को जागृत करने के लिए आर्या समाज पद्धति से हवन (यज्ञ) का आयोजन Kashi Sai Foundation Society के प्रधान कार्यालय में दिनाक 25-03-2010 को किया गया। जिसमें संस्था के अध्यक्ष - श्री काली प्रसाद दुबे, उपाध्यक्ष - श्रीमती उषा दुबे व कौशल कुमार तिवारी, सचिव - अंशुमान दुबे, कोषाध्यक्ष - श्रीमती पूनम दुबे, सांस्कृतिक मंत्री -श्रीमती विजयंका तिवारी, सदस्य - रवि शंकर विश्वकर्मा, मुकेश विश्वकर्मा, छोटे लाल तिवारी, आदि सम्मलित हुए। हवन आर्य समाज मंदिर, बुलानाला, वाराणसी के प्रधान पुरोहित श्री राम देव शास्त्री के मार्ग-दर्शन में कराया गया।





Sunday 21 February 2010

क्रांति : अंशुमान


चली जो तेज हवा तो दरकत हिल जायेंगे।

चली जो गर्म हवा तो सांसे रुक जायेंगी।

चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा।


पर

चली जो क्रांति की हवा, तो तक्थ हिल जायेगे,
और गर मिले जो हाथ हमारे तो,
सर तुम्हारे कट जायेगे।

(Note: Written on 09-03-2003)

Monday 15 February 2010

कल : अंशुमान


कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

मिलकर अगर जुदा होना ही है हमको,
तो क्यों ना आज की शाम को रंगों से भर दे।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कल तो बेवफा है, न जाने कहाँ ले जाये हमको,
कल जो बीता है वो हमारा है, और यादो में जीता है।
और कभी हँसता है, और कभी-कभी रुला भी जाता है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कभी ज़िन्दगी रोटी है, तो गम मुस्कराता है,
और कभी ज़िन्दगी हंसती है, तो ख़ुशी मुस्कुराती है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।
(Note: Written on 04-10-2002)

Thursday 11 February 2010

परमेश्वर :-

परमेश्वर :-

आप अनुभव कर सकते हैं,

परमेश्वर का प्यार और

सिर्फ प्यार.

Wednesday 3 February 2010

मन की स्थिति

जब भंवरा फूल पर बैठ जाता है तो रात को जब फूल बंद हो जाता है,
तो भंवरा भी उसी में बंद हो जाता है !
वो बाहर नही जाता !
जो भंवरा सब छेद कर निकल जाता है,
वो ही भंवरा प्रेम के वशीभूत फूल से नही निकलता !
उस में ही मर जाता है !
उसी प्रकार मेरा मन प्रभु आपके चरणों का भंवरा बन गया है,
जो यहाँ से कही नही जाना चाहता !
मन की स्थिति जब इतनी प्रगाड़ता पर पहुचती है !
तब हमारे अन्दर प्रेमाभक्ति का उदय हो जाता है !
अविरल अश्रुपात होने लगता है !
अपने प्रीतम के सिवा कुछ नज़र नहीं आता है !
आठों याम सिर्फ प्रीतम और कुछ नहीं !
मन की इस स्थिति को खाते हैं !
प्रेम भक्ति !

Tuesday 2 February 2010

अंतर्मुखी बनो

दूसरों की भलाई वुराई देखने में ही जीव का जीवन चला जाता है !
ऐसा जीव ना तो किसी का कल्याण कर सकता है !
और ना ही आत्म कल्याण कर सकता है !
उस जीव का जीवन विल्कुल नष्ट हो जाता है !
हम बाहर की सोचते है !
हम बाहर सहारा ढूंढ़ते है !
बाहर देखने बाले के लिए भगवान का रूप काल का रूप होता है !
बहिर्मुखी जीव का भजन नही बनता है !
वहिर्मुखी रहने पर जीव कुछ नही कर पाता !
इसलिए अंतर्मुखी बनो !
इसीमे कल्याण है !
सब चिन्ताए छोड़ दो !
सुख बाहर नही है अपितु भीतर है !
बाहर रमन मत करो !
वहां कुछ हांसिल होने वाला नहीं है !
बाहर रमण करना बिलकुल ऐसा है !
जैसे किसी तालाब में चन्द्रमा की परछाई दिखे,
और हम उस चन्द्रमा को पाने के लिए तालाब में गोते लगायें !
इसलिए भीतर झांको और भजन करो !
बाकी सब श्री कृष्ण पर छोड़ दो !

Monday 1 February 2010

प्रभु कृपा

दाता बड़ा ही दयाल है !
वो हर क्षण सब का भला करता रहता है !
हमे धैर्य व् विशवास रखना चाहिए !
जो कुछ भी दाता दे रहा है,
दुःख - तकलीफ - कष्ट - चोट,
सुख, दौलत, संतान, कारोबार उन सब को सिर पे लगा लो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर स्वीकार करो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर प्रेम से सहो !
सुख सपना दुःख बुदबुदा दोनों हैं मेहमान !
सबका आदर कीजिये जो भेजे भगवान् !
रोयो या चिल्लायो नही !
स्वीकार करना सीखो !
हर परिस्थिति में उसकी कृपा का अनुभव करो !
ये ही भक्त्ति है !

Sunday 31 January 2010

फागुन की शाम : धर्मवीर भारती

घाट के रस्ते
उस बँसवट से
इक पीली-सी चिड़िया
उसका कुछ अच्छा-सा नाम है !
मुझे पुकारे !
ताना मारे,
भर आएँ, आँखड़ियाँ !
उन्मन, ये फागुन की शाम है !
घाट की सीढ़ी तोड़-तोड़ कर बन-तुलसा उग आयीं
झुरमुट से छन जल पर पड़ती सूरज की परछाईं
तोतापंखी किरनों में हिलती बाँसों की टहनी
यहीं बैठ कहती थी तुमसे सब कहनी-अनकहनी

आज खा गया बछड़ा माँ की रामायन की पोथी !
अच्छा अब जाने दो मुझको घर में कितना काम है !

इस सीढ़ी पर, यहीं जहाँ पर लगी हुई है काई
फिसल पड़ी थी मैं, फिर बाँहों में कितना शरमायी !
यहीं न तुमने उस दिन तोड़ दिया था मेरा कंगन !
यहाँ न आऊँगी अब, जाने क्या करने लगता मन !

लेकिन तब तो कभी न हममें तुममें पल-भर बनती !
तुम कहते थे जिसे छाँह है, मैं कहती थी घाम है !
अब तो नींद निगोड़ी सपनों-सपनों भटकी डोले
कभी-कभी तो बड़े सकारे कोयल ऐसे बोले
ज्यों सोते में किसी विषैली नागिन ने हो काटा
मेरे सँग-सँग अकसर चौंक-चौंक उठता सन्नाटा

पर फिर भी कुछ कभी न जाहिर करती हूँ इस डर से
कहीं न कोई कह दे कुछ, ये ऋतु इतनी बदनाम है !
ये फागुन की शाम है !

Tuesday 26 January 2010

गणतंत्र दिवस की ६० वी वर्षगांठ पर शुभ कामनाये :-





जय साईं भारत

गणतंत्र दिवस की ६० वी वर्षगांठ
पर काशी साईं परिवार के सभी सदस्यों को
सभी भारतवासियों और भारतवंशियों
को हार्दिक शुभ कामनाये ।

"जय साईं भारत"

राष्ट्रिय ध्वज : हरिवंशराय बच्चन

नागाधिराज श्रृंग पर खडी हु‌ई,
समुद्र की तरंग पर अडी हु‌ई,
स्वदेश में जगह-जगह गडी हु‌ई,
अटल ध्वजा हरी, सफेद केसरी!

न साम-दाम के समक्ष यह रुकी,
न द्वन्द-भेद के समक्ष यह झुकी,
सगर्व आस शत्रु-शीश पर ठुकी,
निडर ध्वजा हरी, सफेद केसरी!

चलो उसे सलाम आज सब करें,
चलो उसे प्रणाम आज सब करें,
अजर सदा इसे लिये हुये जियें,
अमर सदा इसे लिये हुये मरें,
अजय ध्वजा हरी, सफेद केसरी!

ऐ मेरे प्यारे वतन : गुलजार

ऐ मेरे प्यारे वतन
ऐ मेरे बिछड़े चमन

तुझपे दिल कुर्बान
तू ही मेरी आरज़ू
तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान

माँ का दिल बन के कभी सीने से लग जाता है तू

और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझकोउतना तड़पाता है तू
तुझपे दिल कुर्बान
तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबां को जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझपे दिल कुर्बान
छोड़ कर तेरी गली को दूर आ पहुंचे हैं हम
है मगर ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की कसम
जिस जगह पैदा हुए थे
उस जगह ही निकले दम
तुझपे दिल कुर्बान

गणतंत्र दिवस और साईं नाथ

Happy Republic Day - 2010

Happy Republic Day - 2010


Happy Republic Day - 2010

Monday 25 January 2010

यह अपना मुल्क है :-

यह अपना मुल्क है,

यहाँ रिश्वत को कहते सुविधा शुल्क है।

काम मर्जी से होगा,

जल्दी है, तो उसका शुल्क है।

~ * ~

यह नदियों का मुल्क है,

पर यहाँ पानी भी

बोतल में बिकता है।

जिसका १५ रुपये शुल्क है।

~ * ~

यह गरीबो का मुल्क है,

पर गरीबो की कोई सुनता नही।

अगर आप बाहुबली है,

तो सभी सुविधा निःशुल्क है।

~ * ~

यह अपना मुल्क है,

कर कुछ सकते नही।

कह कुछ भी सकते है,

क्योकि कहना निःशुल्क है।

~ * ~

यह अपना मुल्क है,

यहाँ विद्यालय बहुत है।

विद्यार्थी विद्यालय जाते नही,

फिर भी शिक्षा निःशुल्क है।

~ * ~

बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो : मुंशी जाकिर् हुसैन्

बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।
ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।।
है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल।
हिम्मत से काम लो तुम आसान होगी मुश्किल।।
कर के उसे दिखा दो, जो अपने दिल में ठानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
भूखे महाजनों ने, ले रखे हैं इजारे।
जिनके सितम से लाखों फिरते हैं मारे-मारे।।
हैं देश के ये दुश्मन! इनको न दोस्त जानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।

Saturday 23 January 2010

सुभाष की मृत्यु पर : धर्मवीर भारती


दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे
सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर
मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे


प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना
जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर
अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर
और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना


और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक


किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।

Tuesday 19 January 2010

Wednesday 13 January 2010

काशी साईं की पहली सालगिरह दिनाक 13-01-2010

पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम की भावना को जागृत करने के लिए आर्या समाज पद्धति से हवन का आयोजन:

पारस नाथ यादव (अधिवक्ता), सतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (अधिवक्ता), अवधेश कुशवाहा(अधिवक्ता), के.डी.सिंह(अधिवक्ता), अंशुमान(सचिव) और काली प्रसाद दुबे(अध्यक्ष) हवन से पूर्व वार्ता करते हुए।

अंशुमान (सचिव), अनुज प्रकाश (प्रवक्ता), अवधेश कुशवाहा(अधिवक्ता), राकेश लाभ, राजबली दुबे, मुकेश, रामदेव शास्त्री(आर्या समाज पुरोहित) हवन करते हुए।

रामदेव शास्त्री (आर्या समाज पुरोहित), त्रिपाठी जी (आर्या समाज ज्ञाता) मुकेश, अवधेश कुशवाहा (अधिवक्ता), काली प्रसाद दुबे(अध्यक्ष), सतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (अधिवक्ता) , के.डी.सिंह (अधिवक्ता) , सूर्य कुमार गोंड (अधिवक्ता) , पारस नाथ यादव (अधिवक्ता) , राजबली दुबे, अनुज प्रकाश (प्रवक्ता), और अंशुमान (सचिव) हवन करते हुए।

रामदेव शास्त्री, त्रिपाठी जी, अंशुमान, काली प्रसाद दुबे और अनुज प्रकाश हवन करते हुए।

अंशुमान हवन मंत्र का पाठ करते हुए।

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...