Wednesday, 21 April 2010

काशी साईं आज का विचार:


महात्मा गाँधी ने कहा है, कि....
"मुठ्ठी भर संकल्पवान लोग,
जिनकी अपने लक्ष्य के प्रति आस्था है,
इतिहास की धारा बदल सकते है।"

Thursday, 8 April 2010

विचारों में बड़ा जादू है,
यह कहने में गिरा भी सकता है,
और उठा भी सकता है,
कोई तलवार इतनी बेदर्दी से नहीं काटता,
जितना की व्यंग्य।
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कहते हैं तमन्ना ना कर उस ख्वाब की जो पूरी न हो सके,
देखो ना उस नजर को जो तुम्हे देख ना सके,
लेकिन हम कहते हैं कोशिश जरुर करना कुछ पाने की,
क्योंकि सौ ख्वाब देखो तो एक तो पूरा होता है,
शायद इन सौ को देखने में
ज़िन्दगी के हर ख्वाब पूरा हो सके।
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जो जिसके चित में बसता है,
वह उससे दूर होते हुए भी दूर नहीं रहता,
निकट ही जान पड़ता है,
इसके विपरीत जो व्यक्ति,
जिसके चित में नहीं रहता,
वह समीप होते हुए भी,
दूर जान पड़ता है।
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ज़िन्दगी कुदरत का दिया अनमोल तोहफा है,
इसे रो कर नहीं हँस कर गुजारो,
ज़िन्दगी जीने के लिए है,
काटने के लिए नहीं।
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माँगा तो क्या माँगा जो अपने लिए माँगा,
दूसरे के आंसू से अपना दामन भीगे,
सच्ची दुआ तो इसे ही कहते है।

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...