सुख में सुमिरन ना किया, दु:ख में किया याद।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद॥1॥
अर्थ : कबीरदास जी कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति सुख में ईश्वर को याद नहीं करता हैं और केवल दुःख में भगवन को याद करता हैं तो कबीर के अनुसार इस संसार में उसके दुःख कोई नहीं हर सकता हैं. क्योकि प्रभु आनंदस्वरूप हैं।
साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ 2 ॥
अर्थ : कबीर ने इस पंक्तियों में स्वयं को धन की मोहमाया से दूर रखने की बात कही हैं. कबीर कहते हैं कि ईश्वर मुझे केवल इतना ही धन देना जिससे मेरा गुज़ारा हो सके और मैं भूखा ना रहूं और ना ही मेरे घर आया कोई अतिथि भूखा जाए।
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट॥3॥
अर्थ : कबीर कहते हैं कि व्यक्ति को जब भी समय मिले उसे राम नाम रूपी धन लुट लेना चाहिए, यह प्राण अनिश्चित हैं, निकल जाने के बाद इसका पछतावा रह जायेगा।