Thursday, 25 February 2010

पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम के लिए हवन (यज्ञ) :

पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम की भावना को जागृत करने के लिए आर्या समाज पद्धति से हवन (यज्ञ) का आयोजन Kashi Sai Foundation Society के प्रधान कार्यालय में दिनाक 25-03-2010 को किया गया। जिसमें संस्था के अध्यक्ष - श्री काली प्रसाद दुबे, उपाध्यक्ष - श्रीमती उषा दुबे व कौशल कुमार तिवारी, सचिव - अंशुमान दुबे, कोषाध्यक्ष - श्रीमती पूनम दुबे, सांस्कृतिक मंत्री -श्रीमती विजयंका तिवारी, सदस्य - रवि शंकर विश्वकर्मा, मुकेश विश्वकर्मा, छोटे लाल तिवारी, आदि सम्मलित हुए। हवन आर्य समाज मंदिर, बुलानाला, वाराणसी के प्रधान पुरोहित श्री राम देव शास्त्री के मार्ग-दर्शन में कराया गया।





Sunday, 21 February 2010

क्रांति : अंशुमान


चली जो तेज हवा तो दरकत हिल जायेंगे।

चली जो गर्म हवा तो सांसे रुक जायेंगी।

चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा।


पर

चली जो क्रांति की हवा, तो तक्थ हिल जायेगे,
और गर मिले जो हाथ हमारे तो,
सर तुम्हारे कट जायेगे।

(Note: Written on 09-03-2003)

Monday, 15 February 2010

कल : अंशुमान


कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

मिलकर अगर जुदा होना ही है हमको,
तो क्यों ना आज की शाम को रंगों से भर दे।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कल तो बेवफा है, न जाने कहाँ ले जाये हमको,
कल जो बीता है वो हमारा है, और यादो में जीता है।
और कभी हँसता है, और कभी-कभी रुला भी जाता है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कभी ज़िन्दगी रोटी है, तो गम मुस्कराता है,
और कभी ज़िन्दगी हंसती है, तो ख़ुशी मुस्कुराती है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।
(Note: Written on 04-10-2002)

Thursday, 11 February 2010

परमेश्वर :-

परमेश्वर :-

आप अनुभव कर सकते हैं,

परमेश्वर का प्यार और

सिर्फ प्यार.

Wednesday, 3 February 2010

मन की स्थिति

जब भंवरा फूल पर बैठ जाता है तो रात को जब फूल बंद हो जाता है,
तो भंवरा भी उसी में बंद हो जाता है !
वो बाहर नही जाता !
जो भंवरा सब छेद कर निकल जाता है,
वो ही भंवरा प्रेम के वशीभूत फूल से नही निकलता !
उस में ही मर जाता है !
उसी प्रकार मेरा मन प्रभु आपके चरणों का भंवरा बन गया है,
जो यहाँ से कही नही जाना चाहता !
मन की स्थिति जब इतनी प्रगाड़ता पर पहुचती है !
तब हमारे अन्दर प्रेमाभक्ति का उदय हो जाता है !
अविरल अश्रुपात होने लगता है !
अपने प्रीतम के सिवा कुछ नज़र नहीं आता है !
आठों याम सिर्फ प्रीतम और कुछ नहीं !
मन की इस स्थिति को खाते हैं !
प्रेम भक्ति !

Tuesday, 2 February 2010

अंतर्मुखी बनो

दूसरों की भलाई वुराई देखने में ही जीव का जीवन चला जाता है !
ऐसा जीव ना तो किसी का कल्याण कर सकता है !
और ना ही आत्म कल्याण कर सकता है !
उस जीव का जीवन विल्कुल नष्ट हो जाता है !
हम बाहर की सोचते है !
हम बाहर सहारा ढूंढ़ते है !
बाहर देखने बाले के लिए भगवान का रूप काल का रूप होता है !
बहिर्मुखी जीव का भजन नही बनता है !
वहिर्मुखी रहने पर जीव कुछ नही कर पाता !
इसलिए अंतर्मुखी बनो !
इसीमे कल्याण है !
सब चिन्ताए छोड़ दो !
सुख बाहर नही है अपितु भीतर है !
बाहर रमन मत करो !
वहां कुछ हांसिल होने वाला नहीं है !
बाहर रमण करना बिलकुल ऐसा है !
जैसे किसी तालाब में चन्द्रमा की परछाई दिखे,
और हम उस चन्द्रमा को पाने के लिए तालाब में गोते लगायें !
इसलिए भीतर झांको और भजन करो !
बाकी सब श्री कृष्ण पर छोड़ दो !

Monday, 1 February 2010

प्रभु कृपा

दाता बड़ा ही दयाल है !
वो हर क्षण सब का भला करता रहता है !
हमे धैर्य व् विशवास रखना चाहिए !
जो कुछ भी दाता दे रहा है,
दुःख - तकलीफ - कष्ट - चोट,
सुख, दौलत, संतान, कारोबार उन सब को सिर पे लगा लो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर स्वीकार करो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर प्रेम से सहो !
सुख सपना दुःख बुदबुदा दोनों हैं मेहमान !
सबका आदर कीजिये जो भेजे भगवान् !
रोयो या चिल्लायो नही !
स्वीकार करना सीखो !
हर परिस्थिति में उसकी कृपा का अनुभव करो !
ये ही भक्त्ति है !

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...