
चली जो तेज हवा तो दरकत हिल जायेंगे।
चली जो गर्म हवा तो सांसे रुक जायेंगी।
चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा।
पर
चली जो क्रांति की हवा, तो तक्थ हिल जायेगे,
और गर मिले जो हाथ हमारे तो,
सर तुम्हारे कट जायेगे।
(Note: Written on 09-03-2003)
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...
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