रंगों से दिल सजा लूं इस बार होली पर
रूठों को अब मना लूं इस बार होली पर।
इक स्नेह रंग घोलूँ आंसू की धार में
पानी ज़रा बचा लूं इस बार होली पर।
अपनों की बेवफाई से मन है हुआ उदास
इक मस्त फाग गा लूं इस बार होली पर।
रिश्तों में आजकल तो है आ गई खटास
मीठा तो कुछ बना लूं इस बार होली पर।
उम्मीद की कमी से फीकी हुई जो आँखें
उनमें उजास ला दूं इस बार होली पर।
द्वारा :- भारती पंडित
रूठों को अब मना लूं इस बार होली पर।
इक स्नेह रंग घोलूँ आंसू की धार में
पानी ज़रा बचा लूं इस बार होली पर।
अपनों की बेवफाई से मन है हुआ उदास
इक मस्त फाग गा लूं इस बार होली पर।
रिश्तों में आजकल तो है आ गई खटास
मीठा तो कुछ बना लूं इस बार होली पर।
उम्मीद की कमी से फीकी हुई जो आँखें
उनमें उजास ला दूं इस बार होली पर।
द्वारा :- भारती पंडित
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