Monday, 20 December 2010
Thursday, 9 December 2010
हर सांस में हर बोल में साईं नाम की झंकार :-
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है ॥
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है ।
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ॥
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है ।
उस साईंनाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ॥
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है ।
मनके यहां बिखरे हुये साईं ने पिरोया तार है ॥
Tuesday, 7 December 2010
निंदा व संवेदना : वाराणसी आतंकी हमले की || Terrorist Attack At Varanasi on 07-12-2010
Tuesday, 9 November 2010
पैगम्बर का जीवन ही संदेश था :-
he was the only man in history who was supremely succesful on both the religious and secular levels.
आप इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं, जो उच्चतम सीमा तक सफल रहे। धार्मिक स्तर पर भी और दुनियावी स्तर पर भी।
इसी तरह अँगरेज इतिहासकार टॉम्स कारलाइल ने आप सल्ल को ईशदूतों का हीरो कहा है। आइए देखें। वे क्या गुण हैं जिनके कारण आपको इतना ऊँचा स्थान दिया जाता है।
आप सल्ल। ने सबसे पहले इंसान के मन में यह विश्वास जगाया कि सृष्टि की व्यवस्था वास्तविक रूप से जिस सिद्धांत पर कायम है, इंसान की जीवन व्यवस्था भी उसके अनुकूल हो, क्योंकि इंसान इस ब्रह्मांड का एक अंश है और अंश का कुल के विरुद्ध होना ही खराबी की जड़ है। दूसरे लफ्जों में खराबी की असल जड़ इंसान की अपने प्रभु से बगावत है। आपने बताया कि अल्लाह पर ईमान केवल एक दार्शनिक सिद्धांत नहीं बल्कि यही वह बीज है, जो इंसान के मन की जमीन में जब बोया जाता है तो इससे पूरी जिंदगी में ईमान की बहार आ जाती है। जिस मन में ईमान है, वह यदि एक जज होगा तो ईमानदार होगा।
एक पुलिसमैन है तो कानून का रखवाला होगा एक व्यापारी है तो ईमानदार व्यापारी होगा। सामूहिक रूप से कोई राष्ट्र खुदापरस्त होगा तो उसके नागरिक जीवन में, उसकी राजनीतिक व्यवस्था में, उसकी विदेश राजनीति, उसकी संधि और जंग में खुदापरस्ताना अखलाक व किरदार की शान होगी। यदि यह नहीं है तो फिर खुदापरस्ती का कोई अर्थ नहीं। आइए, हम देखें कि आपकी शिक्षाएँ समाज के प्रति क्या हैं।
'जिस व्यक्ति ने खराब चीज बेची और खरीददार को उसकी खराबी नहीं बताई, उस पर ईश्वर का प्रकोप भड़कता है और फरिश्ते उस पर धिक्कार करते हैं।' 'ईमान की सर्वश्रेष्ठ हालत यह है कि तेरी दोस्ती और दुश्मनी अल्लाह के लिए हो।
तेरी जीभ पर ईश्वर का नाम हो और तू दूसरों के लिए वही कुछ पसंद करे, जो अपने लिए पसंद करता हो और उनके लिए वही कुछ नापसंद करे जो अपने लिए नापसंद करता हो।' 'ईमान वालों में सबसे कामिल ईमान उस व्यक्ति का है जिसके अखलाक सबसे अच्छे हैं और जो अपने घर वालों के साथ अच्छे व्यवहार में सबसे बड़ा है।'
'असली मुजाहिद वह है, जो खुदा के आज्ञापालन में स्वयं अपने नफ्स (अंतरआत्मा) से लड़े और असली मुहाजिर (अल्लाह की राह में देश त्यागने वाला) वह है, जो उन कामों को छोड़ दे जिन्हें खुदा ने मना किया है।'
'मोमिन सब कुछ हो सकता है, मगर झूठा और विश्वासघात करने वाला नहीं हो सकता।' 'जो व्यक्ति खुद पेटभर खाए और उसके पड़ोस में उसका पड़ोसी भूखा रह जाए, वह ईमान नहीं रखता।''जिसने लोगों को दिखाने के लिए नमाज पढ़ी उसने शिर्क किया, जिसने लोगों को दिखाने के लिए रोजा रखा उसने शिर्क किया और जिसने लोगों को दिखाने के लिए खैरात की उसने शिर्क किया।'
'चार अवगुण ऐसे हैं कि जो यदि किसी व्यक्ति में पाए जाएँ तो वह कपटाचारी- अमानत मैं विश्वासघात करे, बोले तो झूठ बोले, वादा करे तो तोड़ दे और लड़े तो शराफत की हद से गिर जाए। 'जो व्यक्ति अपना गुस्सा निकालने की ताकत रखता है और फिर बर्दाश्त कर जाए उसके मन को खुदा ईमान से भर देता है।'
'जानते हो कयामत के दिन खुदा के साए में सबसे पहले जगह पाने वाले कौन लोग हैं। आपके साथियों ने कहा कि अल्लाह और उसका रसूल ज्यादा जानते हैं। आपने फरमाया कि उनके समक्ष सत्य पेश किया गया तो उन्होंने मान लिया और जब भी उनसे हक माँगा गया तो उन्होंने खुले मन से दिया और दूसरों के मामले में उन्होंने वही फैसला किया, जो स्वयं अपने लिए चाहते थे।'
'जन्नत में वह गोश्त नहीं जा सकता, जो हराम के निवालों से बना हो। हराम माल खाने से पहले पले हुए जिस्म के लिए तो आग ही ज्यादा बेहतर है।'
Sunday, 10 October 2010
Saturday, 2 October 2010
राम : इक़बाल (गाँधी जयंती पर विशेष)
शब्दार्थ: 1- हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। 2- पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं। 3- महान चिंतन। 4- ऊँचाई । 5- हिन्दी का गौरव या ज्ञान । 6- देवता । 7- ऊँचे आसन पर । 8- अस्तित्व 9- चमत्कार । 10- ज्ञान का दीपक । 11- भरपूर रोशनी वाला सवेरा । 12- वीरता । 13- एकमात्र । 14- पवित्रता ।
Thursday, 30 September 2010
गंगा जमुनी संस्कृति का प्रमाण
Times of India, February 28, 1995
Lucknow: In the narrow winding lane from the Dashwashwamedh Ghat leading towards the famed Vishwanath Mandir in Varanasi, the atmosphere is one of extreme piety at all times of the day. The temple is, perhaps, one of the most potent symbols of Hinduism in the country in a city which by all accounts is one of the oldest centers of pilgrimage for the Hindus.
The original Vishwanath temple is supposed to have been built around 490 AD during the Gupta period। istorical records suggest that it was destroyed by Muslim ruler. The first Muslim invader to attack Varanasi was Ahmed Nihalidin, the governor of the Indian province of the Ghazani empire, in the 11th century. His aim was to acquire the wealth accumulated in the temples of Varanasi. Later, Qutub-ud-din Aibak of the slave dynasty invaded the city and more than 1000 temples are said to have been destroyed in this onslaught.
In 1539, it was captured by Sher Shah Suri। In the tolerant regime of Akbar, many temples and other structure were rebuilt by Hindu kings in Varanasi.
Raja Todar mal, one of the "jewels" in Akbar's court, constructed a new temple on the site of the destroyed Vishwanath temple in 1585.
This was again destroyed by Aurangzeb in 1669 while on his way to conquer the Deccan. Aurangzeb got a mosque constructed in its place.
The present temple was reconstructed by Maharani Ahilya Bai Holkar in 1777. The dome of the Vishwanath temple was gold-plated by Maharaja Ranjit Singh in 1839.
Adjacent to the temple is the Gyanvapi Masjid, which was built by Auragzeb on the remnants of the original temple। He had, however, agreed to the plea of the Kashi Brahmins that a temple would be allowed to exist adjacent to the Gyanvapi masjid as also to the reconstruction of the Kali temple at Aurangabad, about three kmaway। This temple, too, was destroyed by the invading Muslim armies.The remnants of the original Vishwanath temple are revered by the devout Hindus as Shrinagar Gauri, the abode of Lord Mahadev. Muslims offer namaz in the premises of the Gyanvapi masjid but not in the main hall.
Saturday, 11 September 2010
ईद मुबारक
काशी साईं परिवार
की तरफ से
सभी भारत वंशियो
को
ईद मुबारक
व
ढेरो शुभ कामनाये ।
जय साईं भारत
LOVE SAI, LIVE SAI.
Thursday, 2 September 2010
आली रे! : मीराबाई
Wednesday, 1 September 2010
कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष : मथुरा के लोगवा (भोजपुरी)
Sunday, 15 August 2010
Saturday, 14 August 2010
अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा : इक़बाल
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती* को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं
( *अस्तित्व के रहस्य )
Monday, 9 August 2010
Tuesday, 20 July 2010
काशी साईं प्रेम विचार :-
हमारी संस्था I - next और श्री स्वतंत्र कुमार का अभिवादन कर धन्यवाद् देती है, और सभी भारत वाशियों से निवेदन करती है, कि यही भावना अपने मन में भी जागृत कर देश से प्रेम करिए और "भ्रष्टाचार" का हिस्सा बनने से अपने आपको बचाइये।
Sunday, 23 May 2010
काशी साईं आज का विचार:
Saturday, 22 May 2010
संस्था के प्रेरणास्रोत :-
Wednesday, 21 April 2010
काशी साईं आज का विचार:
Thursday, 8 April 2010
Monday, 8 March 2010
आर्थिक सहायता अंतर्गत "Kashi Sai Anti-Terrorism Fund"
Sunday, 7 March 2010
आज के दिन : अंशुमान
प्यार के रंगों का एहसास मिला है हमको, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।
Tuesday, 2 March 2010
गुरु, ईश्वर और सदगुरु का सम्बन्ध व अंतर :
गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध है....!!
वेदों में "गुरु" को "ईश्वर" से अधिक पूज्यनीय माना है, "गुरु" की महिमा अपार है वो सदैव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है, उसे सर्व गुण सम्पन बनाने का प्रयत्न करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है।
गुरु और सदगुरु में अन्तर...!!
गुरु और सदगुरु में बहुत अन्तर है, गुरु को हमेशा अपने शिष्य से कोई न कोई अपेक्षा रहती है, वो कभी भी समय आने पर अपने दिए हुए ज्ञान की गुरुदक्षाणा मांग लेते है। परन्तु सदगुरु वो होता जो सदैव देते हैं, कभी गुरुदक्षाणा की लालसा नही रखते । गुरु तो बहुत से मिल जाते है, परन्तु सदगुरु तो एक ही है वो है "साई बाबा" जिन्होंने कभी अपने शिष्यो से कुछ नही माँगा सिर्फ़ दिया ही है, ऐसे सदगुरु के चरणों में हमारा, काशी साईं परिवार व समस्त भारत वासियों का सादर नमन व समर्पण.....!!!
Monday, 1 March 2010
नज़र : अंशुमान
होली की हार्दिक शुभ कामनाये:-
" होली के शुभ अवसर पर सभी भारतवासियो व भारतवंशियो को काशी साईं परिवार की हार्दिक शुभ कामनाये "
और
" नव वर्ष की भी हार्दिक शुभ कामनाये "
Thursday, 25 February 2010
पर्यावरण शुद्धिकरण व भारत प्रेम के लिए हवन (यज्ञ) :
Sunday, 21 February 2010
क्रांति : अंशुमान
Monday, 15 February 2010
कल : अंशुमान
Thursday, 11 February 2010
Wednesday, 3 February 2010
मन की स्थिति
तो भंवरा भी उसी में बंद हो जाता है !
वो बाहर नही जाता !
जो भंवरा सब छेद कर निकल जाता है,
वो ही भंवरा प्रेम के वशीभूत फूल से नही निकलता !
उस में ही मर जाता है !
उसी प्रकार मेरा मन प्रभु आपके चरणों का भंवरा बन गया है,
जो यहाँ से कही नही जाना चाहता !
मन की स्थिति जब इतनी प्रगाड़ता पर पहुचती है !
तब हमारे अन्दर प्रेमाभक्ति का उदय हो जाता है !
अविरल अश्रुपात होने लगता है !
अपने प्रीतम के सिवा कुछ नज़र नहीं आता है !
आठों याम सिर्फ प्रीतम और कुछ नहीं !
मन की इस स्थिति को खाते हैं !
प्रेम भक्ति !
Tuesday, 2 February 2010
अंतर्मुखी बनो
ऐसा जीव ना तो किसी का कल्याण कर सकता है !
और ना ही आत्म कल्याण कर सकता है !
उस जीव का जीवन विल्कुल नष्ट हो जाता है !
हम बाहर की सोचते है !
हम बाहर सहारा ढूंढ़ते है !
बाहर देखने बाले के लिए भगवान का रूप काल का रूप होता है !
बहिर्मुखी जीव का भजन नही बनता है !
वहिर्मुखी रहने पर जीव कुछ नही कर पाता !
इसलिए अंतर्मुखी बनो !
इसीमे कल्याण है !
सब चिन्ताए छोड़ दो !
सुख बाहर नही है अपितु भीतर है !
बाहर रमन मत करो !
वहां कुछ हांसिल होने वाला नहीं है !
बाहर रमण करना बिलकुल ऐसा है !
जैसे किसी तालाब में चन्द्रमा की परछाई दिखे,
और हम उस चन्द्रमा को पाने के लिए तालाब में गोते लगायें !
इसलिए भीतर झांको और भजन करो !
बाकी सब श्री कृष्ण पर छोड़ दो !
Monday, 1 February 2010
प्रभु कृपा
वो हर क्षण सब का भला करता रहता है !
हमे धैर्य व् विशवास रखना चाहिए !
जो कुछ भी दाता दे रहा है,
दुःख - तकलीफ - कष्ट - चोट,
सुख, दौलत, संतान, कारोबार उन सब को सिर पे लगा लो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर स्वीकार करो !
उसे प्रभु की कृपा समझ कर प्रेम से सहो !
सुख सपना दुःख बुदबुदा दोनों हैं मेहमान !
सबका आदर कीजिये जो भेजे भगवान् !
रोयो या चिल्लायो नही !
स्वीकार करना सीखो !
हर परिस्थिति में उसकी कृपा का अनुभव करो !
ये ही भक्त्ति है !
Sunday, 31 January 2010
फागुन की शाम : धर्मवीर भारती
उस बँसवट से
इक पीली-सी चिड़िया
उसका कुछ अच्छा-सा नाम है !
मुझे पुकारे !
ताना मारे,
भर आएँ, आँखड़ियाँ !
उन्मन, ये फागुन की शाम है !
घाट की सीढ़ी तोड़-तोड़ कर बन-तुलसा उग आयीं
झुरमुट से छन जल पर पड़ती सूरज की परछाईं
तोतापंखी किरनों में हिलती बाँसों की टहनी
यहीं बैठ कहती थी तुमसे सब कहनी-अनकहनी
आज खा गया बछड़ा माँ की रामायन की पोथी !
अच्छा अब जाने दो मुझको घर में कितना काम है !
इस सीढ़ी पर, यहीं जहाँ पर लगी हुई है काई
फिसल पड़ी थी मैं, फिर बाँहों में कितना शरमायी !
यहीं न तुमने उस दिन तोड़ दिया था मेरा कंगन !
यहाँ न आऊँगी अब, जाने क्या करने लगता मन !
लेकिन तब तो कभी न हममें तुममें पल-भर बनती !
तुम कहते थे जिसे छाँह है, मैं कहती थी घाम है !
अब तो नींद निगोड़ी सपनों-सपनों भटकी डोले
कभी-कभी तो बड़े सकारे कोयल ऐसे बोले
ज्यों सोते में किसी विषैली नागिन ने हो काटा
मेरे सँग-सँग अकसर चौंक-चौंक उठता सन्नाटा
पर फिर भी कुछ कभी न जाहिर करती हूँ इस डर से
कहीं न कोई कह दे कुछ, ये ऋतु इतनी बदनाम है !
ये फागुन की शाम है !
Tuesday, 26 January 2010
राष्ट्रिय ध्वज : हरिवंशराय बच्चन
न साम-दाम के समक्ष यह रुकी,
चलो उसे सलाम आज सब करें,
ऐ मेरे प्यारे वतन : गुलजार
ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझपे दिल कुर्बान
तू ही मेरी आरज़ू
तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
माँ का दिल बन के कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तूजितना याद आता है मुझकोउतना तड़पाता है तू
तुझपे दिल कुर्बान
तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबां को जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझपे दिल कुर्बान
छोड़ कर तेरी गली को दूर आ पहुंचे हैं हम
है मगर ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की कसम
जिस जगह पैदा हुए थे
उस जगह ही निकले दम
तुझपे दिल कुर्बान
Monday, 25 January 2010
यह अपना मुल्क है :-
यह अपना मुल्क है,
यहाँ रिश्वत को कहते सुविधा शुल्क है।
काम मर्जी से होगा,
जल्दी है, तो उसका शुल्क है।
~ * ~
यह नदियों का मुल्क है,
पर यहाँ पानी भी
बोतल में बिकता है।
जिसका १५ रुपये शुल्क है।
~ * ~
यह गरीबो का मुल्क है,
पर गरीबो की कोई सुनता नही।
अगर आप बाहुबली है,
तो सभी सुविधा निःशुल्क है।
~ * ~
यह अपना मुल्क है,
कर कुछ सकते नही।
कह कुछ भी सकते है,
क्योकि कहना निःशुल्क है।
~ * ~
यह अपना मुल्क है,
यहाँ विद्यालय बहुत है।
विद्यार्थी विद्यालय जाते नही,
फिर भी शिक्षा निःशुल्क है।
~ * ~
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो : मुंशी जाकिर् हुसैन्
ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।।
है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल।
हिम्मत से काम लो तुम आसान होगी मुश्किल।।
कर के उसे दिखा दो, जो अपने दिल में ठानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
भूखे महाजनों ने, ले रखे हैं इजारे।
जिनके सितम से लाखों फिरते हैं मारे-मारे।।
हैं देश के ये दुश्मन! इनको न दोस्त जानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
Saturday, 23 January 2010
सुभाष की मृत्यु पर : धर्मवीर भारती
दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे
सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर
मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे
प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना
जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर
अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर
और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना
और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक -
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक
किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।
Tuesday, 19 January 2010
Thursday, 14 January 2010
Wednesday, 13 January 2010
काशी साईं की पहली सालगिरह दिनाक 13-01-2010
चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...
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संतन जात ना पूछो निरगुनियाँ। साध ब्राहमन साध छत्तरी, साधै जाती बनियाँ। साधनमां छत्तीस कौम है, टेढी तोर पुछनियाँ। साधै नाऊ साधै धोबी, साधै जा...
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काशी साईं फाउंडेशन के अंशदान रुपये 2,100/- एवं निवेदन पत्र दिनांक 25-09-2013 पर जिलाधिकारी वाराणसी ने टाउन हाल स्थित "भारत के राष्ट...
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भगत देश का - शहीदेआजम भगत सिंह को समर्पित