Wednesday 12 March 2014

इस बार होली पर, रूठों को अब मना लूं

रंगों से दिल सजा लूं इस बार होली पर
रूठों को अब मना लूं इस बार होली पर। 

 
इक स्नेह रंग घोलूँ आंसू की धार में
पानी ज़रा बचा लूं इस बार होली पर। 

 
अपनों की बेवफाई से मन है हुआ उदास
इक मस्त फाग गा लूं इस बार होली पर। 

 
रिश्तों में आजकल तो है आ गई खटास
मीठा तो कुछ बना लूं इस बार होली पर। 

 
उम्मीद की कमी से फीकी हुई जो आँखें
उनमें उजास ला दूं इस बार होली पर। 

 द्वारा :-  भारती पंडित 
 

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...