Wednesday, 30 October 2019
तीन लोकों में न्यारी काशी में देवाधिदेव महादेव तो बसते ही हैं, इस नगरी को 11वें रुद्रावतार हनुमान का भी धाम बनाने का श्रेय जाता है गोस्वामी तुलसीदास को। संकटमोचन के रूप में उन्होंने तुलसीदास जी को यहीं दर्शन दिए:-
Friday, 3 May 2019
मेरे राम को खण्डित करने वाले सदैव दण्डित होते हैं:-
राम को खण्डित करने वाले सदैव दण्डित होते हैं। इस वाक्य से इस पोस्ट की शुरुआत कर रहा हूँ, क्योंकि यह सत्य है। इतिहास गवाह है, जिस किसी ने "राम-नाम" को खण्डित करने का प्रयास किया वह स्वयं खण्डित हो गया।
मैं सिर्फ उस इतिहास की बात करता हूँ जो मैंने अपने 44 साल के जीवन में देखा व सुना है।
***पहली घटना जिसने राम-नाम की राजनीति में ताला खुलवाया, उसका शरीर खण्ड-खण्ड हो गया।
***दूसरी घटना, जिसने राम-नाम पर रथयात्रा निकालकर राजनीति की, उनके प्रधान बनने का सपना तीन बार खण्ड-खण्ड हो गया।
***तीसरी घटना जिसका दायित्व था कि उसे राम-नाम की राजनीति को रोकना है, उसने ऐसा नहीं किया तो उसके ही लोगों ने उसे मरने के बाद राजघाट, दिल्ली के बाहर फेंक दिया।
इसलिए राम-नाम की राजनीति बंद करो और राम का नाम लेकर राम की जनता के लिए काम करो।
Tuesday, 20 November 2018
देवी देवताओं की आरती के बाद, क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं करुणावतारं मंत्र?
हिंदू धर्म को मानने वाले श्रद्धालु मंदिरों में या घरों में होनी वाली दैनिक पूजा विधान में देवी देवताओं की आरती पूर्ण होने के बाद कुछ वैदिक मंत्रों का उच्चारण अनिवार्य रूप से करते है । सभी देवी-देवताओं की स्तुति के मंत्र भी अलग-अलग हैं, लेकिन जब भी यज्ञ या पूजा समपन्न होता है, तो उसके बाद भगवान की आरती की जाती और आरती के पूर्ण होते ही इस दिव्य व अलौकिक मंत्र को विशेष रूप से बोला जाता है ।
कर्पूरगौरं मंत्र:-
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
- इस अलौकिक मंत्र के प्रत्येक शब्द में भगवान शिवजी की स्तुति की गई हैं । इसका अर्थ इस प्रकार है- कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले । करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं । संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं । भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं । सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है ।
अर्थात- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है ।
आखिर आरती के बाद यही मंत्र क्यों
- किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारं मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं । भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है । ये माना जाता है कि भगवान शिव जी शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी प्रवत्ति वाला है । लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य और सुंदर है । भगवान शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति । ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे, शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं । ऐसे शिवजी हमारे मन में शिव वास कर, मृत्यु का भय दूर करें ।
Monday, 15 October 2018
My Message to Sai Baba - "Aawaz Deke Hamen Tum Bulao" Sung by लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी
आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
अभी तो मेरी ज़िंदगी है परेशां
कहीं मर के हो खाक भी न परेशां
दिये की तरह से न हमको जलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
मैं सांसों के हर तार में छुप रहा हूँ
मैं धड़कन के हर राग में बस रहा हूँ
ज़रा दिल की जानिब निगाहें झुकाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
ना होंगे अगर हम तो रोते रहोगे
सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे
जो तुम पर मिटा हो उसे ना मिटाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
Tuesday, 10 April 2018
कबीर
कबीर के literature काे भी तत्समय poor की संज्ञा दिया गया था। आज वर्षों बाद कबीर के विचार जीवित हैं परन्तु विरोधियों का ना ताे विचार रहा और ना ही उनका अस्तित्व।
कबीर कहते हैं-चाल बकुल की चलत है, बहुरि कहावै हंस।
ते मुक्ता कैसे चुगे, पड़े काल के फंस।।
भावार्थ:-
जो बगुले के आचरण में चलकर, पुनः हंस कहलाते हैं वे ज्ञान - मोती कैसे चुगेगे ? वे तो कल्पना काल में पड़े हैं।
Wednesday, 4 October 2017
कबीर के लोकप्रिय दोहे :: भाग 3
Wednesday, 3 May 2017
कबीर के लोकप्रिय दोहे :: भाग 2
चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...

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संतन जात ना पूछो निरगुनियाँ। साध ब्राहमन साध छत्तरी, साधै जाती बनियाँ। साधनमां छत्तीस कौम है, टेढी तोर पुछनियाँ। साधै नाऊ साधै धोबी, साधै जा...
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सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल : संत छीतस्वामी "सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल, मिटिहैं जंजाल सकल निरखत सँग गोप बाल। मोर मु...
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हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते, हमा...