कौन ठगवा नगरिया लूटल हो।
चंदन काठ के बनल खटोला
ता पर दुलहिन सूतल हो।
उठो सखी री माँग संवारो
दुलहा मो से रूठल हो।
आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा
नैनन अंसुवा टूटल हो।
चार जने मिल खाट उठाइन
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो।
कहत कबीर सुनो भाई साधों
जग से नाता छूटल हो।
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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
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