कोई सुमार न देखौं, ए सब ऊपिली चोभा।
जाकौं जेता प्रकासै, ताकौं तेती ही सोभा।।
हम ही पै सीखि सीखि, हम हीं सूँ मांडै।
थोरै ही इतराइ चालै, पातिसाही छाडै।।१।।
अति हीं आतुर बहै, काचा हीं तोरै।
कुंडै जलि एैसै, न हींयां डरै खोरै।।२।।
थोरैं थोरैं मुसियत, परायौ धंनां।
कहै रैदास सुनौं, संत जनां।।३।।
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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...

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हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते, हमा...
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सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल : संत छीतस्वामी "सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल, मिटिहैं जंजाल सकल निरखत सँग गोप बाल। मोर मु...
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