Sunday 7 March 2010

आज के दिन : अंशुमान

नोट: मैंने यह कविता अपने बेटे "Ashwath" (Aashi) के पैदा होने के बाद दिनाक 04-05-2005 को लिखी थी, जिसमें सुधार 01-12-2005 को पूनम के साथ किया।
खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

हुआ है, सपना पूरा हमारा, आज ही के दिन
नम हुई हैं, आंखे हमारी, आज के ही दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

ज़िंदगी की शुरुआत हुई है, आज ही के दिन
पाई है, मंजिल हमने, आज ही के दिन
दिया है, नाम नया प्यार को तुमने, आज ही के दिन
खिला है, फूल बनकर प्यार हमारा, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

राम ने चूमा है, सीता का माथा, आज ही के दिन
कृष्ण ने थामा है, राधा का दामन, आज ही के दिन
मीरा हुई है, मगन श्याम के रंग, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन।

प्यार के रंगों का एहसास मिला है हमको, आज ही के दिन
छुटा था जो दामन, थामा है फिर से उसको, आज ही के दिन
जुदा था जो, गले लगाया है उसको, आज ही के दिन
दर्द के एहसास को बनाया है, प्यार हमने, आज ही के दिन
क्योकि मिली है, सपने से हकीकत, आज ही के दिन

खिला है, फूल चमन में हमारे, आज ही के दिन
महका है, चमन हमारा, आज ही के दिन।

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