Saturday 2 October 2010

राम : इक़बाल (गाँधी जयंती पर विशेष)

गाँधी जयंती पर बापू को काशी साईं परिवार की ओर से प्रेम भरी भेट
॥ हे राम ॥
राम
कवि : श्रीयुक्त अल्लामा इक़बाल
@इक़बाल

लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिंद*1
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द*2
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक*3 उसका है असर,
रिफ़अत*4 में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द*5
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक*6 सरिश्त*7,
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द
है राम के वजूद*8 पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
एजाज़*9 इस चिराग़े-हिदायत*10, का है यही
रोशन तिराज़ सहर*11 ज़माने में शामे-हिन्द
तलवार का धनी था, शुजाअत*12 में फ़र्द*13 था,
पाकीज़गी*14 में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था


शब्दार्थ: 1- हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। 2- पूरब के महान चिंतक हिन्द के राम हैं। 3- महान चिंतन। 4- ऊँचाई । 5- हिन्दी का गौरव या ज्ञान । 6- देवता । 7- ऊँचे आसन पर । 8- अस्तित्व 9- चमत्कार । 10- ज्ञान का दीपक । 11- भरपूर रोशनी वाला सवेरा । 12- वीरता । 13- एकमात्र । 14- पवित्रता ।

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