Thursday 9 December 2010

हर सांस में हर बोल में साईं नाम की झंकार :-

हर सांस में हर बोल में साईं नाम की झंकार है ।
हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है ॥
ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है ।
पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है ॥
हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है ।
उस साईंनाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है ॥
अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है ।
मनके यहां बिखरे हुये साईं ने पिरोया तार है ॥

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