Wednesday 16 March 2011

ये इनायते गजब की :- "काशी साईं परिवार" होली वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं

मुझे फूंकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना,
किसी और की अमानत कही साथ जल जाये
~ * ~
मेरी बेज़ुबा आँखों से गिरे जो चंद कतरे,
जो समझ सको तो आंसु ना समझ सको तो पानी
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सुननी नही है हमको किसी और की ज़ुबानी,
तेरे सुबह कह रही है तेरी रात की कहानी
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मेरे खूने आरज़ू को वो समझ रहे है पानी,
उन्हें होश तक आया ये गुज़र गयी जवानी
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ये इनायते गजब की ये बला की मेहरबानी,
मेरे खैरियत भी पूछी किसी और की जुबानी

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काशी साईं परिवार" सभी सम्मानित भारत वंशियो को और इस ब्लॉग के सुधी पाठकों को होली वर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएं देता है॥

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