तुमको ना भूल पाऊँगा, ये हक है मेरा,
जो तुमको हो कबूल, वो सच है मेरा |
ये ज़िन्दगी है क्या, दो लफ्जों का फ़साना |
जो ख़ुशी मिले, तो ज़िन्दगी है खुशमिजाज़,
जो ग़म मिले, तो ज़िन्दगी है ग़मज़दा |
तुमको ना भूल पाऊँगा, ये हक है मेरा,
जो तुमको हो कबूल, वो सच है मेरा |
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