सर्वप्रथम "काशी साईं परिवार" सभी सम्मानित सदस्यों, सभी भारत वंशियो और इस ब्लॉग के सुधी पाठकों को काशी साईं सचिव अंशुमान दुबे का साईं राम " जय साईं भारत प्रेम "
साल 2009 में साईं के दिशा निर्देश पर मैंने और कुछ सहयोगियों ने " काशी साईं " को मूर्तरूप दिया और काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी का गठन किया तथा साईं नाम और साईं कर्म को अपना मूल मन्त्र बना लिया...!!!
काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी के मूल विचार:-
" मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " , " साईं मानव प्रेम, साईं ईश्वर प्रेम "
हमारी सोसाइटी का मानना है, कि भारत में " साईं " नाम ही एक ऐसा नाम है, जो बटवारा नहीं करता इसीलिए हमारी सोसाइटी
काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी के मूल विचार:-
" मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " , " साईं मानव प्रेम, साईं ईश्वर प्रेम "
हमारी सोसाइटी का मानना है, कि भारत में " साईं " नाम ही एक ऐसा नाम है, जो बटवारा नहीं करता इसीलिए हमारी सोसाइटी
" जय साईं भारत " कहती है...!!
हमारी सोसाइटी का यह प्रयास है, कि साईं के नाम पर पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जाये, ताकि भारत में किसी भी किस्म का बटवारा ना रह जाये....!!
वर्त्तमान में हम भारत के लोग कई प्रकार से बटे हुए है... जैसे - धर्म, जाति, प्रान्त, अमीर, गरीब, जनता, नेता, अधिकारी आदि-आदि..... क्या ये सही है....???
नहीं साईं नाथ और हमारे मालिक ने तो सिर्फ दो ही बनाए थी एक आदमी दूसरा औरत... तो फिर इतने प्रकार के सामाजित बटवारे क्यों....???
तो अगर साईं ने हम सब को इस संख्या में कहना शुरू कर देना चाहिए " मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " तथा " जय साईं भारत ".
आपका
अंशुमान दुबे
काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी
हमारी सोसाइटी का यह प्रयास है, कि साईं के नाम पर पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जाये, ताकि भारत में किसी भी किस्म का बटवारा ना रह जाये....!!
वर्त्तमान में हम भारत के लोग कई प्रकार से बटे हुए है... जैसे - धर्म, जाति, प्रान्त, अमीर, गरीब, जनता, नेता, अधिकारी आदि-आदि..... क्या ये सही है....???
नहीं साईं नाथ और हमारे मालिक ने तो सिर्फ दो ही बनाए थी एक आदमी दूसरा औरत... तो फिर इतने प्रकार के सामाजित बटवारे क्यों....???
तो अगर साईं ने हम सब को इस संख्या में कहना शुरू कर देना चाहिए " मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " तथा " जय साईं भारत ".
आपका
अंशुमान दुबे
काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी
" जय साईं भारत "
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