केहि समुझावौ सब जग अन्धा ॥
इक दुइ होयॅं उन्हैं समुझावौं, सबहि भुलाने पेटके धन्धा ।
पानी घोड पवन असवरवा, ढरकि परै जस ओसक बुन्दा ॥ १॥
गहिरी नदी अगम बहै धरवा, खेवन- हार के पडिगा फन्दा ।
घर की वस्तु नजर नहि आवत, दियना बारिके ढूँढत अन्धा ॥ २॥
लागी आगि सबै बन जरिगा, बिन गुरुज्ञान भटकिगा बन्दा ।
कहै कबीर सुनो भाई साधो, जाय लिङ्गोटी झारि के बन्दा ॥ ३॥
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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...
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काशी साईं फाउंडेशन के अंशदान रुपये 2,100/- एवं निवेदन पत्र दिनांक 25-09-2013 पर जिलाधिकारी वाराणसी ने टाउन हाल स्थित "भारत के राष्ट...
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भगत देश का - शहीदेआजम भगत सिंह को समर्पित
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