Friday 3 April 2009

गुरू और ईश्वर के सम्बंध में कबीर दास जी के दोहे - 3

'कबीर' सतगुर ना मिल्या, रही अधूरी सीष ।
स्वांग जती का पहरि करि, घरि घरि माँगे भीष ॥
भावार्थ - कबीर कहते हैं -उनकी सीख अधूरी ही रह गयी कि जिन्हें सद्गुरु नहीं मिला । सन्यासी का स्वांग रचकर, भेष बनाकर घर-घर भीख ही माँगते फिरते हैं वे ।

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उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...