Friday, 18 May 2012

कतरा कतरा जो गंगा बहती है :-

कतरा कतरा जो गंगा बहती है, 
जैसे कतरा कतरा लहू बहता हो,
शायद वो हमारी माँ की आहो का लहू है, 
न जाने कब एक कतरा कम पड़ जाये, 
रोने को हमको।।
और सरकार बोलेगी रोना नहीं, 
हम है आंसूओ को पोछने को तुम्हारे संग।

वाह रे सरकार वाह,

कब आप समग्र प्रयास करेगे हमारी गंगा को बचाने का...???

Tuesday, 15 May 2012

तप के ताप से जल जाओगे तुम :-

तप के ताप से जल जाओगे तुम,
माँ की वेदना से बह जाओगे तुम,
माँ को ना देखो धर्म के चश्में से तुम,
इतना रुलाओं ना मेरे माँ को तुम ,
नहीं तो दुनिया देखने को तरस जाओगे तुम।।

न सत्ता होगी और ना ही सत्ता का प्रेम :-

संतों की तपस्या से सांसद तो कल जाग गये,
अब सत्ता के जागने की बारी / समय है,
नहीं तो संतो का अनुसरण कर,
अगर जनता पूर्ण रूप से जाग गयी तो,
2014 में उत्तर प्रदेश का 2012 दोहराया जायेगा,
और फिर न सत्ता होगी और ना ही सत्ता का प्रेम,
अब तो जाग जाएये प्रधानमंत्री की पूर्व शक्तियां ।।

Monday, 14 May 2012

मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए :-


गयी हूँ मर ना हो यकी तो देखो छु के मुझको,
मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए।
लाश है ये जिंदा तुमको यकी ना होगा,
वक्त और अपनों ने मेरी रूह को मारा है।
पर कलयुग में मेरे पुत्रों ने,
मुझमें प्राण भरने का संकल्प किया है,
अपने तप से।।

"जय हो गंगा पुत्रों की, जय हो माँ गंगा की"

Sunday, 13 May 2012

दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान किसका है...???

प्रशन :- दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान किसका है...???
 

उत्तर :- मेरे नज़र में दुनिया में सबसे बड़ा बलिदान "नदी" करती है, क्योंकि जीवन भर दूसरो को जीवन देती है और समुद्र से मिलने के लिए वह अपने अस्तित्व को ख़त्म कर देती है और फलस्वरूप पाती है समुद्र का खारा पानी अपने मीठे पानी के बदले, समुद्र कभी नदी के पास बरात लेकर नहीं आता।

जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है :-

 जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है।
जिसने सब को अपने प्रेम में था बाँधा,
उसको बाँधने में लगे हैं, आज के राजा।
जो थी सदा नीरा, उसके आज नीर बहते है।

मानसून की प्रतीक्षा करती सरकार :-

भारत सरकार तो सिर्फ इस बात की प्रतीक्षा करती दिख रही है कि, कब मानसून आये और वे कह सके की हमने गंगा में पानी छोड़ दिया है। अत: अब गंगा पुत्रो को तपस्या करने के कोई आवश्कता नहीं है।
और क्या हुआ "गंगा तिरंगा" का नारा देने वाले दल का, वे क्यों मौन है....???  क्या वे फिर चुनाव की प्रतीक्षा में हैं.....???

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...