Monday, 14 May 2012

मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए :-


गयी हूँ मर ना हो यकी तो देखो छु के मुझको,
मैं आज भी बहती हूँ तुम्हारे लिए।
लाश है ये जिंदा तुमको यकी ना होगा,
वक्त और अपनों ने मेरी रूह को मारा है।
पर कलयुग में मेरे पुत्रों ने,
मुझमें प्राण भरने का संकल्प किया है,
अपने तप से।।

"जय हो गंगा पुत्रों की, जय हो माँ गंगा की"

No comments:

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...