Thursday 5 February 2009

साहिब मेरा एक है - संत कबीर

साहिब मेरा एक है दूजा कहा ना जाए,
दूजा साहिब जो कहूँ, साहिब खड़ा रसाए।
माली आवत देख के, कलियाँ करें पुकार,
फूल फूल चुन लिए, काल हमारी बार।
चाह गई चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह,
जिनको कच्छु न चाहिए, वोह ही शहंशाह।

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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...