Monday 15 February 2010

कल : अंशुमान


कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

मिलकर अगर जुदा होना ही है हमको,
तो क्यों ना आज की शाम को रंगों से भर दे।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कल तो बेवफा है, न जाने कहाँ ले जाये हमको,
कल जो बीता है वो हमारा है, और यादो में जीता है।
और कभी हँसता है, और कभी-कभी रुला भी जाता है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।

कभी ज़िन्दगी रोटी है, तो गम मुस्कराता है,
और कभी ज़िन्दगी हंसती है, तो ख़ुशी मुस्कुराती है।

कल ना हमारा है, और ना तुम्हारा है।
(Note: Written on 04-10-2002)

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