Sunday 21 February 2010

क्रांति : अंशुमान


चली जो तेज हवा तो दरकत हिल जायेंगे।

चली जो गर्म हवा तो सांसे रुक जायेंगी।

चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा।


पर

चली जो क्रांति की हवा, तो तक्थ हिल जायेगे,
और गर मिले जो हाथ हमारे तो,
सर तुम्हारे कट जायेगे।

(Note: Written on 09-03-2003)

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