Tuesday, 15 October 2013

ऐ भारत ! तुम मत भूलना कि.... स्वामी विवेकानंद का आह्वान, भारत के नाम

 
ऐ भारत ! क्या दूसरों की ही हां में हां मिला कर, दूसरों की ही नकल कर, परमुखापेक्षी होकर इस दासों की सी दुर्बलता, इस घृणित जघन्य निष्ठुरता से ही तुम बड़े-बड़े अधिकार प्राप्त करोगे? क्या इसी लज्जास्पद कापुरुषता से तुम वीरभोग्या स्वाधीनता प्राप्त करोगे?
 ~ * ~

ऐ भारत ! तुम मत भूलना कि तुम्हारे उपास्थ सर्वत्यागी उमानाथ शंकर हैं, मत भूलना कि तुम्हारा विवाह, धन और तुम्हारी स्त्रियों का आदर्श सीता,सावित्री,दमयन्ती है। मत भूलना कि तुम्हारा जीवन इन्द्रिय सुख के लिए, अपने व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं है।

मत भूलना कि तुम जन्म से ही माता के लिए बलिदान स्वरूप रखे गए हो, मत भूलना की तुम्हारा समाज उस विराट महामाया की छाया मात्र है, तुम मत भूलना कि नीच,अज्ञानी,दरिद्र,मेहतर तुम्हारा रक्त और तुम्हारे भाई हैं। ऐ वीर, साहस का साथ लो ! गर्व से बोलो कि मैं भारतवासी हूं और प्रत्येक भारतवासी, मेरा भाई है। बोलो कि अज्ञानी भारतवासी, दरिद्र भारतवासी, ब्राह्मण भारतवासी, चांडाल भारतवासी, सब मेरे भाई हैं।

तुम भी कटिमात्र वस्त्रावृत्त होकर गर्व से पुकार कर कहो कि भारतवासी मेरा भाई है, भारतवासी मेरे प्राण हैं, भारत के देव-देवियाँ मेरे ईश्वर हैं। भारत का समाज मेरी शिशुसज्जा,मेरे यौवन का उपवन और मेरे वृद्धावस्था की वाराणसी है।

भाई, बोलो कि भारत की मिट्टी मेरा स्वर्ग है, भारत के कल्याण में मेरा कल्याण है, और दिन-रात कहते रहो कि हे गौरीनाथ,हे जगदम्बे, मुझे मनुष्यत्व दो ! मां मेरी दुर्बलता और कापुरुषता दूर कर दो, मुझे मनुष्य बनाओ!

काशी साईं सन्देश - साईं भारत प्रेम

खुदा की तलाश में भटकते भटकते 
मंदिर पुहंचे तो पंडित बोले हिन्दू बन जाओ 
 मस्जिद पुहंचे तो मुल्ला बोले मुस्लिम बन जाओ
 गिरजाघर पुहंचे तो पादरी बोले ईसाई बन जाओ 
 दर दर भटक कर जब साईं दर पुहंचे... 
 तो "बाबा" बोले...
सबका मालिक एक है

तुम बस "इन्सान" बन जाओ..

"ॐ साई भारत"
"ॐ साई भारत"
"ॐ साई भारत"

 

Kashi Sai Foundation, Varanasi

।। मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है ।। 

http://kashisai.blogspot.in/


साईं मानव प्रेम,  साईं ईश्वर प्रेम
हमारी सोसाइटी का मानना है, कि भारत मेंसाईं नाम ही एक ऐसा नाम है, जो बटवारा नहीं करता, इसीलिए हमारी सोसाइटी  जय साईं भारत कहती है...!!! हमारी सोसाइटी का यह प्रयास है, कि साईं के नाम पर पूरे भारत को एक सूत्र में  पिरोया जायेताकि भारत में किसी भी किस्म का बटवारा ना रह जाये....!!

Wednesday, 14 August 2013

एक बार तिरंगे में लपेट दे - अंशुमान दुबे

माँ मेरा एक सपना पूरा कर दे,
मुझे भी एक बार "आज़ाद" सी मौत दे। 
माँ मेरा एक सपना पूरा कर दे,
मुझे भी एक बार "भारत" पर शहीद कर दे। 
माँ मेरा एक सपना पूरा कर दे,
मुझे भी एक बार "तिरंगे" में लपेट दे।
 माँ मेरा एक सपना पूरा कर दे,
अगर हो मेरी औलाद तो, उसको भी मेरे जैसा कर दे।


 Link :-
http://a3advocate.blogspot.in/2013/08/blog-post_14.html 

Monday, 5 August 2013

सावन व रमजान के पवित्र माह की सभी भारत वंशियों को हार्दिक शुभकामनायें :-

सावन व रमजान के पवित्र माह की सभी भारत वंशियों को हार्दिक शुभकामनाये 
"जय साईं भारत प्रेम"

Friday, 26 April 2013

सन्देश - साईं भारत प्रेम, साईं ईश्वर प्रेम, साईं मानव प्रेम

 सर्वप्रथम "काशी साईं परिवार" सभी सम्मानित सदस्यों, सभी भारत वंशियो और इस ब्लॉग के सुधी पाठकों को काशी साईं सचिव अंशुमान  दुबे  का  साईं राम " जय साईं भारत प्रेम "
साल  2009 में  साईं के  दिशा  निर्देश  पर  मैंने  और  कुछ  सहयोगियों  ने " काशी साईं " को मूर्तरूप दिया और काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी का गठन किया तथा साईं नाम और साईं कर्म को अपना मूल मन्त्र बना लिया...!!!

काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी के मूल विचार:-
" मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " ,  " साईं मानव प्रेम, साईं ईश्वर प्रेम "
हमारी सोसाइटी का मानना है, कि भारत में " साईं " नाम ही एक ऐसा नाम है, जो बटवारा नहीं करता इसीलिए हमारी सोसाइटी 
" जय साईं भारत " कहती है...!!
हमारी सोसाइटी का यह प्रयास है, कि साईं के नाम पर पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जाये, ताकि भारत में किसी भी किस्म का बटवारा ना रह जाये....!!

वर्त्तमान में हम भारत के लोग कई प्रकार से बटे हुए है... जैसे - धर्म, जाति, प्रान्त, अमीर, गरीब, जनता, नेता, अधिकारी आदि-आदि..... क्या ये सही है....???
नहीं साईं नाथ और हमारे मालिक ने तो सिर्फ दो ही बनाए थी एक आदमी दूसरा औरत... तो फिर इतने प्रकार के  सामाजित बटवारे क्यों....???
तो अगर साईं ने हम सब को इस संख्या में कहना शुरू कर देना चाहिए " मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है " तथा " जय साईं भारत ".
आपका
अंशुमान दुबे
काशी साईं फाउंडेशन सोसाइटी



" जय साईं भारत "

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...