Tuesday 10 March 2009

साईं ने कहा है : भाग-11

साईं ने कहा कि,

"कर्म पथ अति रहस्यपूर्ण है। यद्यपि मै कुछ भी नही करता, फिर भी लोग मुझे ही कर्मों के लिये दोषी ठहराते है। मैं तो एक दर्शक मात्र ही हूं। केवल ईश्वर ही एक सताधारी और प्रेरणा देने वाले है। वे ही परम दयालु है। मै न तो ईश्वर हूं और न मालिक, केवल उनका एक आज्ञाकारी सेवक ही हूं और सदैव उनका स्मरण किया करता हूं। जो निरभिमान होकर, अपने को कृतज्ञ समझ कर उन पर पूर्ण विश्वास करेगा, उसके कष्ट दूर हो जाएंगे और उसे मुक्ति की प्राप्ति होगी। "

No comments:

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...