Tuesday 31 March 2009

गुरू और ईश्वर के सम्बंध में कबीर दास जी के दोहे - 5

सतगुरु हम सूं रीझि करि, एक कह्या परसंग ।
बरस्या बादल प्रेम का, भींजि गया सब अंग ॥
भावार्थ - एक दिन सद्गुरु हम पर ऐसे रीझे कि एक प्रसंग कह डाला,रस से भरा हुआ । और, प्रेम का बादल बरस उठा, अंग-अंग भीग गया उस वर्षा में ।

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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...