Tuesday 28 July 2009

बस आदमी से उखड़ा हुआ आदमी मिले : मनु 'बे-तख़ल्लुस'

बस आदमी से उखड़ा हुआ आदमी मिले
हमसे कभी तो हँसता हुआ आदमी मिले

इस आदमी की भीड़ में तू भी तलाश कर,
शायद इसी में भटका हुआ आदमी मिले

सब तेज़-गाम जा रहे हैं जाने किस तरफ़,
कोई कहीं तो ठहरा हुआ आदमी मिले

रौनक भरा ये रात-दिन जगता हुआ शहर
इसमें कहाँ, सुलगता हुआ आदमी मिले

इक जल्दबाज कार लो रिक्शे पे जा चढी
इस पर तो कोई ठिठका हुआ आदमी मिले

बाहर से चहकी दिखती हैं ये मोटरें मगर
इनमें, इन्हीं पे ऐंठा हुआ आदमी मिले.

देखें कहीं, तो हमको भी दिखलाइये ज़रूर
गर आदमी में ढलता हुआ आदमी मिले

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