Sunday 18 January 2009

तुलसीदास जी : केशव , कहि न जाइ का कहिये

केशव , कहि न जाइ का कहिये । देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये । शून्य भीति पर चित्र ,रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे । धोये मिटे न मरै भीति, दुख पाइय इति तनु हेरे। रविकर नीर बसै अति दारुन ,मकर रुप तेहि माहीं । बदन हीन सो ग्रसै चराचर ,पान करन जे जाहीं । कोउ कह सत्य ,झूठ कहे कोउ जुगल प्रबल कोउ मानै । तुलसीदास परिहरै तीनि भ्रम , सो आपुन पहिचानै ।

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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...