Monday 21 September 2009

रहना नहिं देस बिराना है : संत कबीर

रहना नहिं देस बिराना है।
यह संसार कागद की पुडिया,
बूँद पडे गलि जाना है।
यह संसार काँटे की बाडी,
उलझ पुलझ मरि जाना है॥

यह संसार झाड और झाँखर,
आग लगे बरि जाना है।
कहत 'कबीर सुनो भाई साधो,
सतुगरु नाम ठिकाना है॥

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