Saturday 26 September 2009

देख जिऊँ माई नयन रँगीलो : संत कृष्णदास

देख जिऊँ माई नयन रँगीलो : संत कृष्णदास

"देख जिऊँ माई नयन रँगीलो।
लै चल सखी री तेरे पायन लागौं,
गोबर्धन धर छैल छबीलो॥
नव रंग नवल, नवल गुण नागर,
नवल रूप नव भाँत नवीलो।
रस में रसिक रसिकनी भौहँन,
रसमय बचन रसाल रसीलो॥
सुंदर सुभग सुभगता सीमा,
सुभ सुदेस सौभाग्य सुसीलो।
'कृष्णदास प्रभु रसिक मुकुट मणि,
सुभग चरित रिपुदमन हठीलो॥"

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