Friday, 18 May 2012

क्रांति की हवा :-


चली जो तेज़ हवा तो धरकत हिल जायेंगे,
चली जो सर्द हवा तो लहू जम जायेगा,
पर चली जो क्रांति की हवा तो तख़्त हिल जायेंगे,
माँ गंगा के लिए मिले जो हाथ हमारे,
तो सर तुम्हारे कट जायेंगे।

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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...