Sunday 21 June 2009

सोते रहो - 1 : माँ (गुरुमाँ)

तुम में जो प्रेम ना महसूस कर सके,
सोते रहो ।
तुम में जो प्रेम की पीडा ना महसूस कर सके ,
ह्रदय मैं कभी प्रेम जवार ना उठे,
सोते रहो।

जो समागम को तड़पते ना हो,
जो लगातार पूछते ना रहते हो,
कहा है वो....!!
सोते रहो।

प्रेम पाठ सभी धर्म, सम्पर्दयो से बाहर है,
अगर धोखा और पाखंड है तुम्हारा ढंग,
सोते रहो।

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