Tuesday 7 July 2009

जग में आकर इधर उधर देखा : ख़्वाजा मीर दर्द

जग में आकर इधर उधर देखा,
तू ही आया नज़र जिधर देखा।
जान से हो गए बदन ख़ाली,

जिस तरफ़ तूने आँख भर देखा।
नाला, फ़रियाद, आह और ज़ारी,

आप से हो सका सो कर देखा।
उन लबों ने की न मसीहाई,

हम ने सौ-सौ तरह से मर देखा।
ज़ोर आशिक़ मिज़ाज है कोई,

‘दर्द’ को क़िस्स:-ए- मुख्तसर देखा।

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उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...