कहि मन रांम नांम संभारि।
माया कै भ्रमि कहा भूलौ, जांहिगौ कर झारि।। टेक।।
देख धूँ इहाँ कौन तेरौ, सगा सुत नहीं नारि।
तोरि तंग सब दूरि करि हैं, दैहिंगे तन जारि।।१।।
प्रान गयैं कहु कौंन तेरौ, देख सोचि बिचारि।
बहुरि इहि कल काल मांही, जीति भावै हारि।।२।।
यहु माया सब थोथरी, भगति दिसि प्रतिपारि।
कहि रैदास सत बचन गुर के, सो जीय थैं न बिसारि।।३।।
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चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-
उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...
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संतन जात ना पूछो निरगुनियाँ। साध ब्राहमन साध छत्तरी, साधै जाती बनियाँ। साधनमां छत्तीस कौम है, टेढी तोर पुछनियाँ। साधै नाऊ साधै धोबी, साधै जा...
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भगत देश का - शहीदेआजम भगत सिंह को समर्पित
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बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो। ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।। है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल। हिम्मत से काम लो तुम आसान हो...
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