Saturday 15 August 2009

आज तुम्हारा जन्मदिवस : नामवर सिंह

आज तुम्हारा जन्मदिवस, यूँही यह संध्या

भी चली गई, किंतु अभागा मैं न जा सका

समुख तुम्हारे और नदी तट भटका-भटका

कभी देखता हाथ कभी लेखनी अबन्ध्या।

पार हाट, शायद मेल; रंग-रंग गुब्बारे।

उठते लघु-लघु हाथ,सीटियाँ; शिशु सजे-धजे

मचल रहे... सोचूँ कि अचानक दूर छ: बजे।

पथ, इमली में भरा व्योम,आ बैठे तारे

'सेवा उपवन',पुस्पमित्र गंधवह आ लगा

मस्तक कंकड़ भरा किसी ने ज्यों हिला दिया।

हर सुंदर को देख सोचता क्यों मिला हिया

यदि उससे वंचित रह जाता तू...?

क्षमा मत करो वत्स, आ गया दिन ही ऎसा

आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा।


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