साध्वी डॉ। चन्द्रप्रभाजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि माँ एक गुरु के रूप में अपनी संतान को संस्कार देती है। माता जीवन का निर्माण करती है, तो पिता उसे उन्नति के शिखर तक ले जाता है। माँ है तो सबकुछ है और यदि माँ नहीं तो कुछ भी नहीं।
साध्वी डॉ। चन्द्रप्रभाजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि माँ एक गुरु के रूप में अपनी संतान को संस्कार देती है। माता जीवन का निर्माण करती है, तो पिता उसे उन्नति के शिखर तक ले जाता है। माँ है तो सबकुछ है और यदि माँ नहीं तो कुछ भी नहीं।
सद्गुरु हमें ज्ञान देते हैं। सद्गुरुरूपी नाविक के साथ धर्मरूपी नौका में बैठकर इंसान संसार सागर को पार कर लेता है। आज व्यक्ति धन-वैभव का अहंकार करता है, परंतु वह अंत में धराशायी हो जाता है। जिसके जीवन में विनय का गुण है, वह ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
यदि ज्ञान पाना है तो अहंकार का विसर्जन करना ही होगा। साध्वीजी ने बच्चों को प्रेरणा दी कि वे प्रतिदिन प्रातः अपने माता-पिता और सद्गुरु के चरणों में वंदन अवश्य करें।
"माँ एक गुरु के रूप में अपनी संतान को संस्कार देती है। माता जीवन का निर्माण करती है, तो पिता उसे उन्नति के शिखर तक ले जाता है। माँ है तो सबकुछ है और यदि माँ नहीं तो कुछ भी नहीं।"
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