Tuesday 11 August 2009

शिरडी के संत श्री साँई बाबा


शिरडी के संत श्री साँई बाबा भी एक ऐसी ही महान आत्मा को धारण करने वाले थे, जिसने उन्हें मनुष्य से भगवान होने तक का सफर तय कराया था। लोग उन्हें जिस रूप में भी स्वीकार करें, यह उनकी आस्था के साथ जुड़ा है। हिंदू उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं तो मुसलमान उन्हें किसी महान पैगम्बर से कम नहीं मानते। यही दशा पारसियों, ईसाइयों और अन्य धर्मावलम्बियों के साथ भी है कि वे उन्हें किस रूप में स्वीकार करते हैं।
मानवीय दृष्टि से शिरडी का यह सन्त, उस महान परम्परा का अंग है, जिसके हृदय में प्राणी मात्र के प्रति गहरी संवेदना, स्नेह और प्यार होता है। जो जीव के दुःख से दुःखी होता है और उसके सुख से सुखी होता है। दुःख-सुख की यह समदर्शिता ही उसे मनुष्य से भगवान अथवा महान सन्त का दर्जा दिलाती है। ऐसे लोग किसी के नाम का सहारा लेकर अपना वर्चस्व सिद्ध नहीं करते और न अपने आपको किसी भगवान विशेष का अवतार कहलाना पसन्द करते हैं।
भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि यहाँ जो भी महान आत्माएँ अवतरित हुई हैं, उन्हें भगवान के विशेष अवतारों के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता रहा है। शिरडी के संत श्री साँई बाबा को भगवान आशुतोष शिव शंकर का पूर्ण अवतार माना जाता है। परन्तु मेरा ऐसा मानना है कि इस धरती पर जो भी महान आत्माएँ अवतरित होती हैं, वे अपने महान लोकहिताय कार्यों से, स्वयं ही मनुष्य से भगवान होने तक का सफर तय करती हैं।

No comments:

चंद्रशेखर आज़ाद के अंतिम संस्कार के बारे में जानने के लिए उनके बनारस के रिश्तेदार श्री शिवविनायक मिश्रा द्वारा दिया गया वर्णन पढ़ना समीचीन होगा:-

उनके शब्दों में—“आज़ाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद होने के बाद इलाहाबाद के गांधी आश्रम के एक स...